माता-पिता हमेशा अपने बच्चों का अच्छा चाहते हैं और इसलिए उनके पैदा होने के पहले से लेकर पैदा होने के बाद तक तमाम कोशिशें करते हैं कि बच्चा स्वस्थ और निरोग रहे। सभी पेरेंट्स अपने बच्चे को लेकर एक्स्ट्रा प्रोटेक्टिव होते हैं, लेकिन कई बार बच्चों की चिंता में की गई चीजें भी उनके स्वास्थ्य के लिए भारी पड़ जाती हैं।
मां-बाप अपने आसानी से अपने बच्चे को उन खतरों से तो बचा लेते हैं, जो उन्हें दिखाई देते हैं, लेकिन वो खतरे जो उन्हें नहीं दिखाई देते या जिनके बारे में उन्हें नहीं पता होता बच्चे के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर जाते हैं। इस बीच छोटे-बच्चों के माता-पिता के लिए अमेरिकी डॉक्टर ने एक चेतावनी जारी की है।
डॉक्टर सौरभ सेठी का कहना है कि रात की रोशनी बच्चों की दृष्टि को नुकसान पहुंचा सकती है। अधिकतर घरों में रात के समय में बच्चे के कमरों में रोशनी के लिए छोटी सी लाइट जला दी जाती है, ताकि वो डरें न। लेकिन ये छोटी सी रोशनी भी समय के साथ चुपचाप उनकी आंखों की रोशनी को नुकसान पहुंचा सकती है। आइए जानते हैं कि नाइट बल्ब बच्चों की आई हेल्थ पर किस तरह असर डालते हैं और इनसे बचने का क्या तरीका है।
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बच्चों की आंखों के लिए खतरनाक है नाइट बल्ब
अगर आपके बच्चे हैं और आप उनके बेडरूम में छोटी सी लाइट जलाते हैं ताकि वो डरें न तो बता दें कि ये लाइट उनकी आंखों की रोशनी को नुकसान पहुंचाती है। डॉक्टर के मुताबिक, जो बच्चे नाइट लाइट्स या कम रोशनी में सोते हैं, उनमें बड़े होने के साथ-साथ मायोपिया (Myopia) यानी निकट दृष्टि दोष (Nearsightedness) विकसित होने की संभावना अधिक होती है। लेकिन जो लोग पूरी तरह से डार्क रूम में सोते हैं उन्हें खतरा बहुत कम होता है।
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मायोपिया क्या है?
मायोपियाकोनिकट दृष्टि दोष भी कहा जाता है। यहएक ऐसी स्थिति है जिसमें दूर की वस्तुएं धुंधली दिखाई देती हैं,जबकि पास की वस्तुएं स्पष्ट दिखाई देती हैं। आमतौर पर 20 वर्ष की आयु से पहले इसका निदान किया जाता है।
क्यों पड़ता है आंखों पर असर?
आप सोच रहे होंगे कि आखिर लाइट का असर आंखों की रोशनी पर कैसे पड़ सकता है, वो भी इतनी डिम लाइट का। इस बारे में बताते हुए डॉक्टर ने कहा,आंखें बंद करने पर भी ब्लू लाइट बच्चों की आईलिड की पतली त्वचा से होकर गुजरती है और यह आंखों में मेलानोप्सिन सेल्स को उत्तेजित करती है,जो सर्कैडियन रिदम और आंखों के विकास में बाधा डालती है। इससे आंखें बहुत लंबी हो सकती हैं जिससे दूर की दृष्टि धुंधली हो सकती है।
क्या हैं बचने के उपाय

लेकिन ऐसा नहीं है कि आप इस खतरे को टाल नहीं सकते हैं। डॉक्टर ने इससे बचने के लिए बेहद सिंपल दो उपाय साझा किए हैं।
1- ब्लैकआउट कर्टेन:आप बच्चों के कमरे में ब्लैकआउट कर्टेन का इस्तेमाल कर सकते हैं। ये विशेष रूप से डिजाइन किए गए पर्दे होते हैं जो कमरे में रोशनी की मात्रा को काफी कम कर देते हैं या पूरी तरह से रोक देते हैं।
2- नीली या सफेद लाइट से बचें:इसके अलावा उनके कमरे मेंनीली या सफेद नाइट लाइट लगाने से बचें और यदि जरूरत हो तो बेड से दूर डीम रेड लाइट का इस्तेमाल करें।
डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। यह किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें। एनबीटी इसकी सत्यता, सटीकता और असर की जिम्मेदारी नहीं लेता है।
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