नई दिल्ली: भारतीय सेना , नेवी और एयरफोर्स की जॉइंट एक्सरसाइज ‘त्रिशूल’ में भारतीय सेना ने अपने स्वदेशी ड्रोन भी परखे। ये ड्रोन सेना ने इनहाउस डिवेलप किए और फिर स्वदेशी कंपनियों ने ही इनका उत्पादन किया। त्रिशूल एक्सरसाइज 3 नवंबर से शुरू हुई और 13 नवंबर तक चलेगी। एक्सरसाइज का सबसे अहम फेज भी मंगलवार को शुरू हो गया।
स्वदेशी ड्रोन का फील्ड टेस्ट
आत्मनिर्भर भारत की सोच के तहत भारतीय सेना भी स्वदेशी तकनीक विकसित करने पर जोर दे रही है ताकि युद्ध के मैदान में बढ़त मिल सके। सेना के सदर्न कमांड ने एक सिस्टम भी बनाया है। जिसमें ड्रोन की डिजाइनिंग की जा रही है और फिर उसका उत्पादन स्वदेशी कंपनियों के जरिए किया जा रहा है।
सेना के ड्रोन हब नई पीढ़ी के मानव रहित हवाई सिस्टम तैयार कर रहे हैं। ये सिस्टम निगरानी, सटीक हमले और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध जैसी भूमिकाओं के लिए अहम हैं। एक्सरसाइज त्रिशूल के दौरान इन स्वदेशी ड्रोन का फील्ड टेस्ट किया गया। जिसमें उन्होंने कठिन युद्ध परिस्थितियों में बेहतरीन सटीकता, लंबी उड़ान क्षमता और मिशन के अनुसार लचीलापन दिखाया।
'अग्नि’ और ‘भैरव’ भी हैं एक्सरसाइज का हिस्सा
त्रिशूल एक्सरसाइज में भारतीय सेना की अश्नि प्लाटून और भैरव बटालियन भी हिस्सा ले रही हैं। ऑपरेशन सिंदूर के बाद सेना ने अपनी हर इंफ्रेंटी (पैदल सेना) बटालियन में अश्नि प्लाटून बनाई हैं। ‘अग्नि’ ड्रोन प्लाटून है। इन प्लाटून के पास कई तरह के ड्रोन हैं जिनसे निगरानी, जानकारी जुटाने, दुश्मन पर नज़र रखने और हमले (लॉइटरिंग म्यूनिशन) जैसे काम किए जा सकते हैं।
साथ ही भैरव बटालियन भी बनाई गई हैं। इन्हें पारंपरिक इंफ्रेंट्री (पैदल सेना) और स्पेशल फोर्सेस के बीच के कैपेबिलिटी गैप को भरने के लिए बनाया जा रहा है। भैरव बटालियन को तेज़ और घातक कार्रवाई के लिए तैयार किया गया है ताकि चीन और पाकिस्तान की सीमाओं पर त्वरित ऑपरेशन करने के लिए ये बटालियन हमेशा तैयार रहें। भैरव बटालियन का काम क्रॉस बॉर्डर ऑपरेशंस, दुश्मन की जानकारी जुटाना और उसकी गतिविधियों में बाधा डालना होगा।
एक्सरसाइज का फाइनल और सबसे अहम फेज शुरूतीनों सेनाओं की एक्सरसाइज त्रिशूल गुजरात में राजस्थान में चल रही है। इसका मकसद तीनों सेनाओं के बीच आपसी तालमेल और संयुक्त ऑपरेशन की तैयारी को और मजबूत करना है। तैयारी चरण पूरा होने के बाद अब इस अभ्यास का अंतिम और सबसे महत्वपूर्ण चरण शुरू हो गया है। भारतीय सेना की सभी शाखाओं के सैनिक और उपकरण, नेवी और एयरफोर्स के साथ मिलकर अब वास्तविक युद्ध जैसी परिस्थितियों में संयुक्त अभ्यास, रणनीतिक ड्रिल और ऑपरेशनल रिहर्सल कर रहे हैं।
स्वदेशी ड्रोन का फील्ड टेस्ट
आत्मनिर्भर भारत की सोच के तहत भारतीय सेना भी स्वदेशी तकनीक विकसित करने पर जोर दे रही है ताकि युद्ध के मैदान में बढ़त मिल सके। सेना के सदर्न कमांड ने एक सिस्टम भी बनाया है। जिसमें ड्रोन की डिजाइनिंग की जा रही है और फिर उसका उत्पादन स्वदेशी कंपनियों के जरिए किया जा रहा है।
सेना के ड्रोन हब नई पीढ़ी के मानव रहित हवाई सिस्टम तैयार कर रहे हैं। ये सिस्टम निगरानी, सटीक हमले और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध जैसी भूमिकाओं के लिए अहम हैं। एक्सरसाइज त्रिशूल के दौरान इन स्वदेशी ड्रोन का फील्ड टेस्ट किया गया। जिसमें उन्होंने कठिन युद्ध परिस्थितियों में बेहतरीन सटीकता, लंबी उड़ान क्षमता और मिशन के अनुसार लचीलापन दिखाया।
'अग्नि’ और ‘भैरव’ भी हैं एक्सरसाइज का हिस्सा
त्रिशूल एक्सरसाइज में भारतीय सेना की अश्नि प्लाटून और भैरव बटालियन भी हिस्सा ले रही हैं। ऑपरेशन सिंदूर के बाद सेना ने अपनी हर इंफ्रेंटी (पैदल सेना) बटालियन में अश्नि प्लाटून बनाई हैं। ‘अग्नि’ ड्रोन प्लाटून है। इन प्लाटून के पास कई तरह के ड्रोन हैं जिनसे निगरानी, जानकारी जुटाने, दुश्मन पर नज़र रखने और हमले (लॉइटरिंग म्यूनिशन) जैसे काम किए जा सकते हैं।
साथ ही भैरव बटालियन भी बनाई गई हैं। इन्हें पारंपरिक इंफ्रेंट्री (पैदल सेना) और स्पेशल फोर्सेस के बीच के कैपेबिलिटी गैप को भरने के लिए बनाया जा रहा है। भैरव बटालियन को तेज़ और घातक कार्रवाई के लिए तैयार किया गया है ताकि चीन और पाकिस्तान की सीमाओं पर त्वरित ऑपरेशन करने के लिए ये बटालियन हमेशा तैयार रहें। भैरव बटालियन का काम क्रॉस बॉर्डर ऑपरेशंस, दुश्मन की जानकारी जुटाना और उसकी गतिविधियों में बाधा डालना होगा।
एक्सरसाइज का फाइनल और सबसे अहम फेज शुरूतीनों सेनाओं की एक्सरसाइज त्रिशूल गुजरात में राजस्थान में चल रही है। इसका मकसद तीनों सेनाओं के बीच आपसी तालमेल और संयुक्त ऑपरेशन की तैयारी को और मजबूत करना है। तैयारी चरण पूरा होने के बाद अब इस अभ्यास का अंतिम और सबसे महत्वपूर्ण चरण शुरू हो गया है। भारतीय सेना की सभी शाखाओं के सैनिक और उपकरण, नेवी और एयरफोर्स के साथ मिलकर अब वास्तविक युद्ध जैसी परिस्थितियों में संयुक्त अभ्यास, रणनीतिक ड्रिल और ऑपरेशनल रिहर्सल कर रहे हैं।
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