अमृतसर : ऑपरेशन सिंदूर ने कुछ समय के लिए ड्रोन घुसपैठ को रोक दिया था। लेकिन पाकिस्तानी तस्कर अब नई तरकीबों के साथ वापस आ गए हैं। वे ड्रोन को और भी अंदर भारतीय सीमा में भेज रहे हैं, जो चिंताजनक है। BSF DIG एके विद्यार्थी ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद, सीमा पार ड्रोन घुसपैठ में कुछ समय के लिए कमी आई थी। लेकिन अब ये गतिविधियां और भी सटीक तरीके से शुरू हो गई हैं।
पाकिस्तानी तस्कर ऐसे ड्रोन का इस्तेमाल कर रहे हैं जो भारतीय सीमा में और अंदर तक जाकर ड्रग्स, हथियार और गोला-बारूद गिराते हैं। इसका मतलब है कि पहले के मुकाबले अब ड्रोन और भी खतरनाक तरीके से घुसपैठ कर रहे हैं।
पहले से ज्यादा अंदर घुस रहे ड्रोनसूत्रों के अनुसार, पहले ड्रोन सीमा के पास, लगभग एक किलोमीटर के अंदर ही सामान गिराते थे। लेकिन अब पाकिस्तानी ड्रोन भारतीय सीमा में 2 से 2.5 किलोमीटर या उससे भी ज्यादा अंदर तक देखे जा रहे हैं। एक सूत्र ने बताया कि पहले 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान, प्राथमिकताएं व्यापक थीं। यह सिर्फ सीमा पार तस्करी को रोकना नहीं था, बल्कि ड्रोन और मिसाइल हमलों को रोकना भी था। पाकिस्तान की तरफ से तस्करी की गतिविधियां काफी कम हो गई थीं। क्योंकि पाकिस्तानी तस्करों के पास भारतीय सीमा में गिराए गए सामान को उठाने के लिए स्थानीय लोग नहीं थे।
सीमा पार ड्रोन घुसपैठ क्यों बढ़ गई है?सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तानी तस्करों ने खुद को और भी आधुनिक चीनी ड्रोन से लैस कर लिया है। वहीं, भारतीय सीमा पर तैनात एंटी-ड्रोन तकनीक उतनी प्रभावी नहीं रही है, जितनी होनी चाहिए थी। इसका मतलब है कि तस्करों ने तकनीक के मामले में बढ़त हासिल कर ली है।
बॉर्डर पर इंटरसेप्टर लगाने की मांगअभी, ड्रोन का पता अक्सर उनकी आवाज से या देखकर चलता है। इसके बाद जानकारी एंटी-ड्रोन टीम को दी जाती है। फिर सिस्टम को चालू किया जाता है ताकि ड्रोन को जाम किया जा सके या पाकिस्तान में बैठे ऑपरेटर से उसका कनेक्शन काटा जा सके। सूत्रों ने बताया कि ऐसे इंटरसेप्टर पंजाब में अंतरराष्ट्रीय सीमा पर हर कुछ किलोमीटर पर लगाए जाने चाहिए। ताकि वे आने वाले ड्रोन का तुरंत पता लगा सकें। वे ड्रोन की दिशा, गति, ऊंचाई और अन्य जानकारी जान सकें। इससे ड्रोन को जाम करके जमीन पर गिराया जा सकता है।
इसलिए ज्यादा अंदर तक आ रहे ड्रोनजब पूछा गया कि पाकिस्तानी तस्कर ड्रोन को भारतीय सीमा में और अंदर तक क्यों भेज रहे हैं, तो सूत्रों ने बताया कि 'ऑप सिंदूर' के बाद BSF ने गश्त बढ़ा दी है और सुरक्षा और निगरानी कड़ी कर दी है। तस्कर सामान को भारतीय सीमा में और अंदर भेजकर यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि सामान लेने वाले (कलेक्टर) अंतरराष्ट्रीय सीमा से और दूर रहें। इससे उनके BSF गश्ती दल द्वारा पकड़े जाने की संभावना कम हो जाएगी।
नई-नई तरकीबें कर रहे यूजआजकल, पाकिस्तानी ड्रोन पायलट ड्रोन को पकड़ में आने से बचने के लिए सीमा के पास ज्यादा ऊंचाई पर उड़ाते हैं। एक बार जब ड्रोन भारतीय सीमा में प्रवेश कर जाते हैं, तो वे नीचे उतर जाते हैं और निगरानी से बचने के लिए टेढ़े-मेढ़े रास्तों पर चलते हैं। ड्रोन जानबूझकर ड्रॉप जोन पर पहुंचने के बाद दुर्घटनाग्रस्त हो जाते हैं। इसका मतलब है कि तस्कर हर संभव कोशिश कर रहे हैं कि वे पकड़े न जाएं। वे नई-नई तकनीक और तरकीबों का इस्तेमाल कर रहे हैं।
पाकिस्तानी तस्कर ऐसे ड्रोन का इस्तेमाल कर रहे हैं जो भारतीय सीमा में और अंदर तक जाकर ड्रग्स, हथियार और गोला-बारूद गिराते हैं। इसका मतलब है कि पहले के मुकाबले अब ड्रोन और भी खतरनाक तरीके से घुसपैठ कर रहे हैं।
पहले से ज्यादा अंदर घुस रहे ड्रोनसूत्रों के अनुसार, पहले ड्रोन सीमा के पास, लगभग एक किलोमीटर के अंदर ही सामान गिराते थे। लेकिन अब पाकिस्तानी ड्रोन भारतीय सीमा में 2 से 2.5 किलोमीटर या उससे भी ज्यादा अंदर तक देखे जा रहे हैं। एक सूत्र ने बताया कि पहले 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान, प्राथमिकताएं व्यापक थीं। यह सिर्फ सीमा पार तस्करी को रोकना नहीं था, बल्कि ड्रोन और मिसाइल हमलों को रोकना भी था। पाकिस्तान की तरफ से तस्करी की गतिविधियां काफी कम हो गई थीं। क्योंकि पाकिस्तानी तस्करों के पास भारतीय सीमा में गिराए गए सामान को उठाने के लिए स्थानीय लोग नहीं थे।
सीमा पार ड्रोन घुसपैठ क्यों बढ़ गई है?सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तानी तस्करों ने खुद को और भी आधुनिक चीनी ड्रोन से लैस कर लिया है। वहीं, भारतीय सीमा पर तैनात एंटी-ड्रोन तकनीक उतनी प्रभावी नहीं रही है, जितनी होनी चाहिए थी। इसका मतलब है कि तस्करों ने तकनीक के मामले में बढ़त हासिल कर ली है।
बॉर्डर पर इंटरसेप्टर लगाने की मांगअभी, ड्रोन का पता अक्सर उनकी आवाज से या देखकर चलता है। इसके बाद जानकारी एंटी-ड्रोन टीम को दी जाती है। फिर सिस्टम को चालू किया जाता है ताकि ड्रोन को जाम किया जा सके या पाकिस्तान में बैठे ऑपरेटर से उसका कनेक्शन काटा जा सके। सूत्रों ने बताया कि ऐसे इंटरसेप्टर पंजाब में अंतरराष्ट्रीय सीमा पर हर कुछ किलोमीटर पर लगाए जाने चाहिए। ताकि वे आने वाले ड्रोन का तुरंत पता लगा सकें। वे ड्रोन की दिशा, गति, ऊंचाई और अन्य जानकारी जान सकें। इससे ड्रोन को जाम करके जमीन पर गिराया जा सकता है।
इसलिए ज्यादा अंदर तक आ रहे ड्रोनजब पूछा गया कि पाकिस्तानी तस्कर ड्रोन को भारतीय सीमा में और अंदर तक क्यों भेज रहे हैं, तो सूत्रों ने बताया कि 'ऑप सिंदूर' के बाद BSF ने गश्त बढ़ा दी है और सुरक्षा और निगरानी कड़ी कर दी है। तस्कर सामान को भारतीय सीमा में और अंदर भेजकर यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि सामान लेने वाले (कलेक्टर) अंतरराष्ट्रीय सीमा से और दूर रहें। इससे उनके BSF गश्ती दल द्वारा पकड़े जाने की संभावना कम हो जाएगी।
नई-नई तरकीबें कर रहे यूजआजकल, पाकिस्तानी ड्रोन पायलट ड्रोन को पकड़ में आने से बचने के लिए सीमा के पास ज्यादा ऊंचाई पर उड़ाते हैं। एक बार जब ड्रोन भारतीय सीमा में प्रवेश कर जाते हैं, तो वे नीचे उतर जाते हैं और निगरानी से बचने के लिए टेढ़े-मेढ़े रास्तों पर चलते हैं। ड्रोन जानबूझकर ड्रॉप जोन पर पहुंचने के बाद दुर्घटनाग्रस्त हो जाते हैं। इसका मतलब है कि तस्कर हर संभव कोशिश कर रहे हैं कि वे पकड़े न जाएं। वे नई-नई तकनीक और तरकीबों का इस्तेमाल कर रहे हैं।
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