नई दिल्ली: क्या सस्ते स्मार्टफोन के दिन हवा होने वाले हैं? दरअसल, स्मार्टफोन बनाने वाली कंपनियों के लिए एक बड़ी मुश्किल खड़ी हो गई है। उन्हें जरूरी पुर्जों, जैसे मेमोरी चिप्स और स्टोरेज की कमी का सामना करना पड़ रहा है। ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि चिप बनाने वाली कंपनियां अब AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) के लिए जरूरी हार्डवेयर की भारी मांग को पूरा करने में लगी हैं। इस वजह से कुछ स्मार्टफोन कंपनियां अपने फोन की कीमतें बढ़ा रही हैं, खासकर सस्ते एंट्री-लेवल हैंडसेट की। उद्योग के जानकारों और मार्केट ट्रैकर्स का कहना है कि रुपये का कमजोर होना भी कंपनियों के लिए पुर्जे मंगाने की समस्या को और बढ़ा रहा है।
स्मार्टफोन निर्माता कंपनियां अब उतनी ही चिप्स मंगा रही हैं जितनी उन्हें जरूरत है। इकोनॉमिक टाइम्स के अनुसार वे ऐसा इसलिए कर रही हैं ताकि पुर्जों की लागत बहुत ज्यादा न बढ़ जाए। चिप्स की कीमतें पहले ही बहुत बढ़ गई हैं और सप्लाई भी कम है। ऐसा इसलिए है क्योंकि चिप बनाने वाली कंपनियां अपनी उत्पादन क्षमता AI डेटा सेंटरों की मांग को पूरा करने में लगा रही हैं।
कितने महंगे हुए फोन?कुछ ब्रांड्स ने तो अपने फोन की कीमतें बढ़ानी शुरू कर दी हैं। वहीं, कुछ कंपनियां अभी इंतजार कर रही हैं। लेकिन रिटेलर्स का कहना है कि कीमतों में बढ़ोतरी से बिक्री पर असर पड़ सकता है। त्योहारी सीजन के बाद बिक्री वैसे भी थोड़ी कम हो गई थी।
ओप्पो ने अपने ज्यादातर हाई-एंड और मिड-रेंज मॉडल की कीमतों में 2000 रुपये तक की बढ़ोतरी की है। वीवो और सैमसंग जैसी कंपनियों ने भी अपने कुछ मॉडलों की कीमतें बढ़ाई हैं। शाओमी इस महीने अपनी कीमतों को स्थिर रखने की कोशिश कर रही है। कंपनी ने कहा कि वह बाजार के इन बदलावों पर बारीकी से नजर रख रही है। शाओमी के प्रवक्ता ने बताया कि अगले साल जब उनके नए मॉडल आएंगे तो उन्हें भी कीमतों में बढ़ोतरी करनी पड़ सकती है। उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे इनपुट लागत का दबाव बना रहेगा, साल 2026 में इंडस्ट्री में कीमतों में व्यापक संशोधन देखने को मिल सकते हैं।
आने वाले दिनों में दिखेगा और असरभारत में एक बड़ी स्मार्टफोन असेंबलिंग कंपनी के एक अधिकारी ने बताया कि उनके ग्राहकों को मेमोरी चिप्स मंगाने में मुश्किल हो रही है। उन्होंने कहा, 'हम अभी-अभी एक शानदार त्योहारी सीजन से निकले हैं और हमारे पास कुछ पुर्जों का स्टॉक बचा है, जिसका इस्तेमाल हम फिलहाल कीमतों को स्थिर रखने के लिए कर रहे हैं। लेकिन, अगली खेप ज्यादा महंगी कीमत पर मंगाई जाएगी, जिसका बोझ ग्राहकों पर पड़ सकता है।'
ऑल इंडिया मोबाइल रिटेलर्स एसोसिएशन (AIMRA) 1.50 लाख से ज्यादा मोबाइल फोन रिटेलरों का प्रतिनिधित्व करते हैं। इस एसोसिएशन के चेयरमैन कैलाश लखयानी ने कहा, 'हम पहले ही बिक्री में भारी गिरावट देख रहे हैं। बिक्री अब सितंबर महीने के बराबर हो गई है और आगे भी बिक्री में और गिरावट आने की उम्मीद है।'
कमजोर रुपया भी बना कारणअधिकारी ने यह भी बताया कि डॉलर के मुकाबले कमजोर रुपये की वजह से पुर्जे आयात करना भी महंगा हो गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि मेमोरी के अलावा, प्रोसेसर जैसे अन्य महत्वपूर्ण पुर्जों की कीमतों में भी अगले साल बढ़ोतरी होने की उम्मीद है।
स्मार्टफोन निर्माता कंपनियां अब उतनी ही चिप्स मंगा रही हैं जितनी उन्हें जरूरत है। इकोनॉमिक टाइम्स के अनुसार वे ऐसा इसलिए कर रही हैं ताकि पुर्जों की लागत बहुत ज्यादा न बढ़ जाए। चिप्स की कीमतें पहले ही बहुत बढ़ गई हैं और सप्लाई भी कम है। ऐसा इसलिए है क्योंकि चिप बनाने वाली कंपनियां अपनी उत्पादन क्षमता AI डेटा सेंटरों की मांग को पूरा करने में लगा रही हैं।
कितने महंगे हुए फोन?कुछ ब्रांड्स ने तो अपने फोन की कीमतें बढ़ानी शुरू कर दी हैं। वहीं, कुछ कंपनियां अभी इंतजार कर रही हैं। लेकिन रिटेलर्स का कहना है कि कीमतों में बढ़ोतरी से बिक्री पर असर पड़ सकता है। त्योहारी सीजन के बाद बिक्री वैसे भी थोड़ी कम हो गई थी।
ओप्पो ने अपने ज्यादातर हाई-एंड और मिड-रेंज मॉडल की कीमतों में 2000 रुपये तक की बढ़ोतरी की है। वीवो और सैमसंग जैसी कंपनियों ने भी अपने कुछ मॉडलों की कीमतें बढ़ाई हैं। शाओमी इस महीने अपनी कीमतों को स्थिर रखने की कोशिश कर रही है। कंपनी ने कहा कि वह बाजार के इन बदलावों पर बारीकी से नजर रख रही है। शाओमी के प्रवक्ता ने बताया कि अगले साल जब उनके नए मॉडल आएंगे तो उन्हें भी कीमतों में बढ़ोतरी करनी पड़ सकती है। उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे इनपुट लागत का दबाव बना रहेगा, साल 2026 में इंडस्ट्री में कीमतों में व्यापक संशोधन देखने को मिल सकते हैं।
आने वाले दिनों में दिखेगा और असरभारत में एक बड़ी स्मार्टफोन असेंबलिंग कंपनी के एक अधिकारी ने बताया कि उनके ग्राहकों को मेमोरी चिप्स मंगाने में मुश्किल हो रही है। उन्होंने कहा, 'हम अभी-अभी एक शानदार त्योहारी सीजन से निकले हैं और हमारे पास कुछ पुर्जों का स्टॉक बचा है, जिसका इस्तेमाल हम फिलहाल कीमतों को स्थिर रखने के लिए कर रहे हैं। लेकिन, अगली खेप ज्यादा महंगी कीमत पर मंगाई जाएगी, जिसका बोझ ग्राहकों पर पड़ सकता है।'
ऑल इंडिया मोबाइल रिटेलर्स एसोसिएशन (AIMRA) 1.50 लाख से ज्यादा मोबाइल फोन रिटेलरों का प्रतिनिधित्व करते हैं। इस एसोसिएशन के चेयरमैन कैलाश लखयानी ने कहा, 'हम पहले ही बिक्री में भारी गिरावट देख रहे हैं। बिक्री अब सितंबर महीने के बराबर हो गई है और आगे भी बिक्री में और गिरावट आने की उम्मीद है।'
कमजोर रुपया भी बना कारणअधिकारी ने यह भी बताया कि डॉलर के मुकाबले कमजोर रुपये की वजह से पुर्जे आयात करना भी महंगा हो गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि मेमोरी के अलावा, प्रोसेसर जैसे अन्य महत्वपूर्ण पुर्जों की कीमतों में भी अगले साल बढ़ोतरी होने की उम्मीद है।
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