इंदौर: NEET-UG परीक्षा दोबारा कराने के मामले में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने बड़ी फैसला दिया है। बिजली कटौती से परीक्षा प्रभावित होने के मामले में सोमवार को मध्यप्रदेश हाई कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) की अपील को स्वीकार कर लिया है। इसके साथ ही 78 से अधिक छात्रों की फिर से परीक्षा कराने की मांग वाली याचिकाएं खारिज कर दीं।
क्या कहा कोर्ट ने
एडवोकेट मृदुल भटनागर ने नवभारत टाइम्स डॉट कॉम को बताया कि मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि NEET जैसी राष्ट्रीय परीक्षा में 22 लाख अभ्यर्थी बैठते हैं और उनमें से केवल 1 लाख 8 हजार को सीट मिलती हैं। कोर्ट का कहना है कि अगर 75 छात्रों के लिए पुनः परीक्षा कराई भी जाती है तो इसकी गारंटी नहीं कि वे सफल हो पाएंगे। एडवोकेट भटनागर ने कहा कि वे इस फैसले से संतुष्ट नहीं हैं और सुप्रीम कोर्ट में अपील करेंगे।
हाईकोर्ट ने आदेश में यह भी कहा कि भविष्य में परीक्षा के दौरान बिजली गुल जैसी समस्या न हो, इसके लिए हर जिले में स्थानीय प्रशासन और NTA को वैकल्पिक व्यवस्था सुनिश्चित करनी चाहिए। इधर इंदौर और उज्जैन के प्रभावित छात्र और उनके परिजन अब सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की तैयारी में हैं। पैरेंट्स और स्टूडेंट्स का कहना है कि उनके साथ अन्याय हुआ है और वे अपनी लड़ाई जारी रखेंगे।
क्या है मामला
यह मामला 4 मई को हुई परीक्षा से जुड़ा है। उस दिन इंदौर और उज्जैन के कई परीक्षा केंद्रों पर आंधी और बारिश के कारण बिजली आपूर्ति बाधित हो गई थी। छात्रों का कहना है कि इस वजह से उनकी परीक्षा प्रभावित हुई। बताया जा रहा है कि करीब 600 छात्रों की परीक्षा में खलल पड़ा, जबकि पूरे प्रदेश में 2000 से ज्यादा छात्र इस समस्या से प्रभावित हुए। इस मामले में छात्रों ने हाईकोर्ट में गुहार लगाई थी। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने 15 मई को NTA से जवाब तलब करते हुए रिजल्ट पर भी रोक लगा दी थी।
NTA ने 19 मई को कोर्ट में स्वीकार किया कि कई केंद्रों पर 10 मिनट से लेकर एक घंटे तक बिजली बाधित रही। इसके बाद याचिकाओं की संख्या लगातार बढ़ती गई। 22 मई तक यह संख्या 50 से ज्यादा हो गई, और 26 मई को सुनवाई के दौरान याचिकाएं 60 पार कर गईं। अब तक कुल 85 छात्रों ने याचिका दाखिल की है। 4 मई को परीक्षा के दौरान बिजली गुल होने के कारण छात्रों ने दोबारा परीक्षा कराने की मांग की थी।
10 जुलाई को दो घंटे चली थी सुनवाई
इंदौर और उज्जैन के 75 स्टूडेंट्स की दोबारा NEET-UG परीक्षा कराने के मामले में 10 जुलाई को सुनवाई करीब दो घंटे चली थी। कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद फैसला रिजर्व फॉर ऑर्डर रखा था।
क्या कहा कोर्ट ने
एडवोकेट मृदुल भटनागर ने नवभारत टाइम्स डॉट कॉम को बताया कि मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि NEET जैसी राष्ट्रीय परीक्षा में 22 लाख अभ्यर्थी बैठते हैं और उनमें से केवल 1 लाख 8 हजार को सीट मिलती हैं। कोर्ट का कहना है कि अगर 75 छात्रों के लिए पुनः परीक्षा कराई भी जाती है तो इसकी गारंटी नहीं कि वे सफल हो पाएंगे। एडवोकेट भटनागर ने कहा कि वे इस फैसले से संतुष्ट नहीं हैं और सुप्रीम कोर्ट में अपील करेंगे।
हाईकोर्ट ने आदेश में यह भी कहा कि भविष्य में परीक्षा के दौरान बिजली गुल जैसी समस्या न हो, इसके लिए हर जिले में स्थानीय प्रशासन और NTA को वैकल्पिक व्यवस्था सुनिश्चित करनी चाहिए। इधर इंदौर और उज्जैन के प्रभावित छात्र और उनके परिजन अब सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की तैयारी में हैं। पैरेंट्स और स्टूडेंट्स का कहना है कि उनके साथ अन्याय हुआ है और वे अपनी लड़ाई जारी रखेंगे।
क्या है मामला
यह मामला 4 मई को हुई परीक्षा से जुड़ा है। उस दिन इंदौर और उज्जैन के कई परीक्षा केंद्रों पर आंधी और बारिश के कारण बिजली आपूर्ति बाधित हो गई थी। छात्रों का कहना है कि इस वजह से उनकी परीक्षा प्रभावित हुई। बताया जा रहा है कि करीब 600 छात्रों की परीक्षा में खलल पड़ा, जबकि पूरे प्रदेश में 2000 से ज्यादा छात्र इस समस्या से प्रभावित हुए। इस मामले में छात्रों ने हाईकोर्ट में गुहार लगाई थी। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने 15 मई को NTA से जवाब तलब करते हुए रिजल्ट पर भी रोक लगा दी थी।
NTA ने 19 मई को कोर्ट में स्वीकार किया कि कई केंद्रों पर 10 मिनट से लेकर एक घंटे तक बिजली बाधित रही। इसके बाद याचिकाओं की संख्या लगातार बढ़ती गई। 22 मई तक यह संख्या 50 से ज्यादा हो गई, और 26 मई को सुनवाई के दौरान याचिकाएं 60 पार कर गईं। अब तक कुल 85 छात्रों ने याचिका दाखिल की है। 4 मई को परीक्षा के दौरान बिजली गुल होने के कारण छात्रों ने दोबारा परीक्षा कराने की मांग की थी।
10 जुलाई को दो घंटे चली थी सुनवाई
इंदौर और उज्जैन के 75 स्टूडेंट्स की दोबारा NEET-UG परीक्षा कराने के मामले में 10 जुलाई को सुनवाई करीब दो घंटे चली थी। कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद फैसला रिजर्व फॉर ऑर्डर रखा था।
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