एक प्रसिद्ध वैद्य एवं उनके पुत्र का दृष्टान्त याद आता है, वैद्यजी अपने पुत्र के साथ अपने एक रोगी सेठ के घर गए, जहां कमरे के सामने एक कुत्ता बंधा हुआ था, भीतर कमरे में एक चारपाई के उपर सेठ जी लेटे हुए थे। वैद्य जी ने नब्ज़ देखी और बोले, ‘सेठ जी! आम जैसा गरिष्ठ फल खाते रहने पर मेरी दवा क्या फायदा करेगी, आपको खानपान में परहेज रखना चाहिए।’ वैद्य जी की यह बात सुनकर सेठ जी ने माफी मांगते हुए बदपरहेजी न करने का वचन दिया। घर लौटने पर पुत्र ने अपने पिता वैद्य जी से पूछा कि, ‘आपको सेठ जी द्वारा आम खाने का कैसे पता चला’, वैद्य जी ने बताया, ‘सेठ जी की चारपाई के नीचे एक तश्तरी में आम के छिलके और गुठली पड़ी थी।’ वैद्य जी ने अपने पुत्र को सिखाया कि एक अच्छे चिकित्सक को हर समय चौकन्ना रहना चाहिए और रोगी के आस-पास की वस्तु को देखकर अनुमान भी लगाना चाहिए। कुछ दिन बाद उसी सेठ की तबियत फिर खराब हुई, इस बार वैद्य जी ने अपने पुत्र को भेजा। उसने देखा कि आज सेठ जी के दरवाजे पर कुत्ता नहीं है, कमरे में एक खूंटी पर कुत्ते की जंजीर और गले का पट्टा लटक रहा था, सेठ जी को बुखार बहुत तेज था। वैद्य जी के पुत्र ने नब्ज़ देखकर कहा कि, ‘सेठ जी आपने बदपरहेजी तो अब भी नहीं छोड़ी, कुत्ते को खाने के कारण आपका स्वास्थ्य इतना खराब हो गया है, ऐसे में मेरी दवा क्या फायदा करेगी।’ यह सुनकर सेठ जी के घर वालों ने वैद्य के पुत्र को घर से धक्का मारकर निकाल दिया और कहा कि, ‘वैद्य का पुत्र बुद्धि से पैदल है, कहीं कुत्ता भी खाया जाता है।’ चाहें सामान्य व्यक्ति हो अथवा चिकित्सक, ज्योतिषी या फिर जातक, सामान्य ज्ञान का होना जीवन में बहुत आवश्यक है, इसके अभाव में व्यक्ति को निश्चित ही असफलता का मुंह देखना पड़ता है। एक युवक कहीं से ज्योतिष सीखकर गांव लौटा, खुद को विद्वान पंडित बताने लगा। उस समय ज्योतिष के प्रश्न शास्त्र का प्रचलन सर्वाधिक था, उसमें भी मुष्टि प्रश्न का। मुष्टि प्रश्न में मुट्ठी में कोई वस्तु दबा ली जाती थी और ज्योतिषी को बताना होता था कि वह वस्तु क्या है, जिसका उत्तर प्रश्न कुंडली के आधार पर दिया जाता था। ज्योतिषी की परीक्षा हेतु एक गांव वाले ने हाथ में एक खोटा सिक्का दबा लिया, जिसके बीच में एक छेद था। पंडित ने प्रश्न कुंडली के आधार पर गणना करके देखा की एक वस्तु है, जो गोल है, जिसके बीच में एक छेद है। उसने बहुत सोच विचार किया कि ऐसी कौन सी वस्तु है जो गोल होती है और जिसमें एक छेद होता है। सामान्य ज्ञान न होने की वजह से उस नवीन ज्योतिषी ने बहुत विचार करने के बाद कहा कि, ‘आपके हाथ में आटा पीसने की चक्की का पाट है।’ सब हँसने लगे कि भला हाथ में चक्की का पाट कहां आ सकता है। अनुभव की कमी होने के कारण सही अनुमान करने के बाद भी वह ज्योतिषी असफल रहा और उपहास का पात्र बना।
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