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सुपर मैग्नेट पर भारत को बड़ी बढ़त..8 देशों से करार, 2 से हो रही बात..चीन के हाथों से निकलेगा कंट्रोल?

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नई दिल्ली: भारत दुर्लभ खनिजों (rare earth minerals) के लिए उन सभी देशों के साथ समझौते की कोशिश कर रहा है, जिनके पास इसके पर्याप्त भंडार हैं। ये दुर्लभ खनिज सुपर मैग्नेट बनाने के काम आते हैं, जो इलेक्ट्रिक वाहनों (EV), मिलिट्री ड्रोन से लेकर सभी तरह के अत्याधुनिक उपकरणों के निर्माण के लिए बहुत जरूरी हैं। इन खनिजों पर अभी चीन का लगभग एकाधिकार है, इसलिए वह सुपर मैग्नेट (super-strong magnets) के निर्यात पर मनमना कंट्रोल कर रहा है, लेकिन भारत समेत दुनिया के तमाम देश अब विकल्प तलाशने में जुटे हुए हैं।



दुर्लभ खनिजों के लिए आठ देशों से करार

केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने संसद को बताया है कि भारत ने पहले ही कम से कम आठ देशों के साथ इसके लिए कुछ समझौते कर रखे हैं। अब ब्राजील और डोमिनिकन रिपब्लिक के साथ भी बातचीत चल रही है। जितेंद्र सिंह परमाणु ऊर्जा विभाग के राज्यमंत्री(स्वतंत्र प्रभार) हैं। 23 जुलाई यानी बुधवार को उन्होंने संसद में एक लिखित जवाब में कहा,'खनिज संसाधनों से समृद्ध देशों के साथ द्विपक्षीय सहयोग विकसित करने के लिए, खनन मंत्रालय ने कई देशों की सरकारों के साथ समझौते किए हैं। इन देशों में ऑस्ट्रेलिया,अर्जेंटीना, जांबिया, पेरू, जिम्बाब्वे, मोजाम्बिक, मलावी, कोटे डी आइवर (आइवरी कोस्ट)और अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) जैसे संगठन शामिल हैं।'



ब्राजील और डोमिनिकन गणराज्य से भी बात

केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा, 'इसके अलावा, खनन मंत्रालय ने दुर्लभ पृथ्वी खनिज और महत्वपूर्ण खनिजों के क्षेत्र में सहयोग विकसित करने के लिए ब्राजील और डोमिनिकन गणराज्य के साथ भी सरकार-से-सरकार (G2G) एमओयू में प्रवेश करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।' इन समझौतों का मुख्य उद्देश्य खनन क्षेत्र में अनुसंधान, विकास और नवाचारों के लिए एक विकसित ढांचा तैयार करना है। इसमें दुर्लभ पृथ्वी तत्व (REE) और महत्वपूर्ण खनिजों पर विशेष ध्यान रहेगा।



दुर्लभ खनिजों की सप्लाई चेन पर काम

जितेंद्र सिंह ने यह भी जानकारी दी कि खनन मंत्रालय खनिज सुरक्षा भागीदारी, इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क (IPEF), भारत-यूके टेक्नोलॉजी एंड सिक्योरिटी इनिशिएटिव (TSI), क्वाड और क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजीज (iCET) जैसी पहलों पर भी काम कर रहा है। इससे महत्वपूर्ण खनिजों की सप्लाई चेन को मजबूत किया जा सकेगा।



भारत के पास भी हैं दुर्लभ खनिज भंडार

भारत के पास करीब 7.23 मिलियन टन दुर्लभ पृथ्वी तत्व ऑक्साइड हैं। इनसे बनने वाले चुंबक रक्षा, इलेक्ट्रॉनिक्स, नवीकरणीय ऊर्जा और स्वच्छ परिवहन जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में काम आते हैं। भारत में 13.15 मिलियन टन मोनाजाइट भी है। यह थोरियम का एक महत्वपूर्ण स्रोत है, जिसका इस्तेमाल परमाणु ऊर्जा तैयार करने में किया जाता है। मोनाजाइट आंध्र प्रदेश, ओडिशा, तमिलनाडु, केरल, पश्चिम बंगाल, झारखंड, गुजरात और महाराष्ट्र के तटीय इलाकों, लाल रेत और जलोढ़ मिट्टी वाले क्षेत्रों में मिलता है। मंत्री ने बताया कि गुजरात और राजस्थान के कुछ हिस्सों की चट्टानों में 1.29 मिलियन टन दुर्लभ पृथ्वी खनिज हैं। सरकार की ओर से यह भी कहा गया कि, 'इसके अलावा भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) ने 34 खोजी परियोजनाओं में विभिन्न कट-ऑफ ग्रेड पर दुर्लभ पृथ्वी तत्व(REE) अयस्क के 482.6 मिलियन टन संसाधनों की खोज की है।'



सुपर चुंबक पर चीन का भयानक कंट्रोल

रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक चीन दुर्लभ पृथ्वी खनिजों की आपूर्ति का 90 प्रतिशत हिस्से को कंट्रोल करता है। इस साल की शुरुआत में चीन ने इन मैग्नेट के निर्यात पर पाबंदी लगा दी। यह कदम अमेरिका टैरिफ दबाव के जवाब में उठाया गया था। दुर्लभ पृथ्वी मैग्नेट में चीन के दबदबे के कारण भारत के ऑटोमोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योगों के लिए सप्लाई चेन बिगड़ गई है।



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