रायबरेली: उत्तर प्रदेश के रायबरेली से ईमानदारी की मिशाल सामने आई है। आज के समय में जहां ईमानदारी दुर्लभ होती जा रही है, वहीं रायबरेली के एक युवक ने मानवता और नैतिकता की अनूठी मिसाल पेश की है। शहर के निराला नगर मोहल्ला निवासी हिमांशु वाजपेई ने करीब दो लाख रुपये से भरा एक बैग पाकर न केवल उसे पुलिस को सौंपा, बल्कि उसे सही-सलामत उसके असली मालिक तक भी पहुंचाने में मदद की। पुलिस भी युवक की ईमानदारी देख काफी खुश हुई। एसपी ने उसे प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया। उन्होंने युवाओं से इसी प्रकार के व्यवहार की जरूरत बताई।
मंदिर जाते समय दिखा बैगघटना शहर कोतवाली क्षेत्र की है। हिमांशु वाजपेई रोज की तरह मंदिर में दीपक जलाने के लिए जा रहे थे। उसी समय उन्हें रास्ते में एक स्कूटी खड़ी मिली और उसके पास कीचड़ में गिरा हुआ एक बैग दिखा। बैग को उठाकर जब उन्होंने खोला तो उसमें उन्हें एक लाख 80 हजार रुपये रखे हुए मिले। हिमांशु ने एक पल की भी देर किए बिना ईमानदारी का परिचय देते हुए वह बैग पुलिस अधीक्षक कार्यालय में जमा करा दिया।
पुलिस ने खोजा असली मालिकपुलिस ने तत्परता दिखाते हुए मामले की जांच शुरू की। जल्द ही बैग के मालिक का पता लगा लिया। वह बैग सत्य नगर मोहल्ला निवासी एमबीबीएस डॉक्टर पार्थ श्रीवास्तव का था। डॉक्टर श्रीवास्तव ने बताया कि वे अपनी पत्नी की बीमारी के इलाज के लिए बैंक से दो लाख रुपये निकालकर लौट रहे थे, लेकिन मानसिक तनाव एवं चिंता के चलते स्कूटी और बैग को रास्ते में भूल गए थे।
ईमानदारी का मिला सम्मानबैग मिलने की खबर से डॉक्टर पार्थ श्रीवास्तव बेहद भावुक हो गए। हिमांशु वाजपेई को धन्यवाद देते हुए कहा कि उनकी ईमानदारी ने न केवल उनका विश्वास वापस लौटा दिया, बल्कि संकट की घड़ी में एक नई उम्मीद भी दी। डॉक्टर ने साथ ही पुलिस विभाग की भी सराहना की, जिसने तत्परता से कार्रवाई करते हुए रुपये सही समय पर लौटाए।
इस नेक कार्य के लिए पुलिस अधीक्षक डॉ. यशवीर सिंह ने हिमांशु वाजपेई को कार्यालय में बुलाकर प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया। उन्होंने कहा कि हिमांशु की ईमानदारी पर हमें गर्व है। यह कार्य समाज के लिए एक प्रेरणा है।
मंदिर जाते समय दिखा बैगघटना शहर कोतवाली क्षेत्र की है। हिमांशु वाजपेई रोज की तरह मंदिर में दीपक जलाने के लिए जा रहे थे। उसी समय उन्हें रास्ते में एक स्कूटी खड़ी मिली और उसके पास कीचड़ में गिरा हुआ एक बैग दिखा। बैग को उठाकर जब उन्होंने खोला तो उसमें उन्हें एक लाख 80 हजार रुपये रखे हुए मिले। हिमांशु ने एक पल की भी देर किए बिना ईमानदारी का परिचय देते हुए वह बैग पुलिस अधीक्षक कार्यालय में जमा करा दिया।
पुलिस ने खोजा असली मालिकपुलिस ने तत्परता दिखाते हुए मामले की जांच शुरू की। जल्द ही बैग के मालिक का पता लगा लिया। वह बैग सत्य नगर मोहल्ला निवासी एमबीबीएस डॉक्टर पार्थ श्रीवास्तव का था। डॉक्टर श्रीवास्तव ने बताया कि वे अपनी पत्नी की बीमारी के इलाज के लिए बैंक से दो लाख रुपये निकालकर लौट रहे थे, लेकिन मानसिक तनाव एवं चिंता के चलते स्कूटी और बैग को रास्ते में भूल गए थे।
ईमानदारी का मिला सम्मानबैग मिलने की खबर से डॉक्टर पार्थ श्रीवास्तव बेहद भावुक हो गए। हिमांशु वाजपेई को धन्यवाद देते हुए कहा कि उनकी ईमानदारी ने न केवल उनका विश्वास वापस लौटा दिया, बल्कि संकट की घड़ी में एक नई उम्मीद भी दी। डॉक्टर ने साथ ही पुलिस विभाग की भी सराहना की, जिसने तत्परता से कार्रवाई करते हुए रुपये सही समय पर लौटाए।
इस नेक कार्य के लिए पुलिस अधीक्षक डॉ. यशवीर सिंह ने हिमांशु वाजपेई को कार्यालय में बुलाकर प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया। उन्होंने कहा कि हिमांशु की ईमानदारी पर हमें गर्व है। यह कार्य समाज के लिए एक प्रेरणा है।
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