इस्लामाबाद/नई दिल्ली: भारत की सुरक्षा एजेंसियों के लिए सबसे बड़ी चुनौती हर एक सेकंड इस बात का पता लगाना होता है कि हमारे दुश्मन चीन और पाकिस्तान, और अब काफी हद तक अमेरिका, भारत को किस तरह से नुकसान पहुंचा सकते हैं। ये एक अथक और लगातार चलने वाला काम है। इसीलिए आपको दुश्मन और उसके समर्थकों की तरह सोचना होगा ताकि आपको पता चल सके कि कहां और कैसे अपनी रक्षा करनी है।
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान 11 एयरबेस गंवाने वाला पाकिस्तान अब क्या करने की कोशिश करेगा? 1970 के दशक से ही, पाकिस्तान जानता है कि वह पारंपरिक युद्ध में भारत को नहीं हरा सकता, इसलिए उसने आतंकवाद का रास्ता अपनाया। लेकिन अगर अब आतंकवाद भी काम नहीं आया, तो वो आगे क्या करेगा? हकीकत ये है कि पाकिस्तान, पिछले 10-12 सालों में भारत के अंदरूनी हिस्सों में आतंकी हमला करवाने में नाकाम रहा है और उसी की खीझ पुलवामा से लेकर पहलगाम का आतंकी हमला है। लेकिन अब जबकि भारत ने साफ साफ शब्दों में कहा है कि अगला आतंकी हमले का मतलब पाकिस्तान पर फिर हमला है तो फिर पाकिस्तान अब क्या करेगा?
भारत को हर हाल में नुकसान पहुंचाना पाकिस्तान का लक्ष्य!
सीनियर जर्नलिस्ट आर. जगन्नाथन ने दिप्रिंट में एक लेख में सी. क्रिस्टीन फेयर की किताब "फाइटिंग टू द एंड: द पाकिस्तान आर्मीज वे ऑफ वॉर" का हवाला दिया है। इस किताब में उन्होंने लिखा है कि पाकिस्तानी सेना कई बार सामरिक हार स्वीकार कर सकती है, लेकिन उसका मुख्य लक्ष्य भारत की आँखों में धूल झोंकना और उसे नुकसान पहुंचाना है। यानि, चाहे हर बार हारे, लेकिन पाकिस्तान की सेना भारत को नुकसान पहुंचाने के लक्ष्य से पीछे नहीं हटेगी। आर. जगन्नाथन ने लिखा है कि "मेरा सबसे अच्छा अनुमान यही है कि भारत को भड़काने की पाकिस्तान की अगली कोशिश आर्थिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने पर केंद्रित होगी। पाकिस्तान, चीन और अमेरिका को जो एक बात परेशान कर रही है, वह है भारत की मजबूत अर्थव्यवस्था और अगले 10-15 सालों में भू-राजनीति में तीसरे ध्रुव के रूप में उसके अपरिहार्य उदय की वैश्विक चर्चा। और इस उभरती हुई वास्तविकता को टालने का इससे बेहतर तरीका और क्या हो सकता है?"
यानि, भारत के उदय को रोकने के लिए उसकी अर्थव्यवस्था पर चोट करना अब पाकिस्तान का अगला मकसद हो सकता है और अमेरिका का इसमें मौन समर्थन होगा। पाकिस्तान अब भारत के बंदरगाहों, तेल संयंत्रों और ऊर्जा सप्लाई को निशाना बना सकता है। आर. जगन्नाथन ने लिखा है कि भारतीय नेताओं के हालिया बयानों में आक्रामकता देखी जा रही है, जो इस बात का संकेत है कि हमारे नेतृत्व को और खुफिया व्यवस्था को पश्चिमी सीमाओं पर कुछ बड़ा घटने की आशंका है। सवाल ये हैं कि राजनाथ सिंह और जनरल द्विवेदी को ठीक इसी समय कड़े बयान देने की ज़रूरत क्यों पड़ी?
क्या गुजरात में हमला कर सकता है पाकिस्तान?
आर. जगन्नाथन के मुताबिक, पाकिस्तान दूसरे दौर की जंग के लिए बेताब है। पहले दौर की जंग में वो कुछ भारतीय विमानों को गिराने के फर्जी दावों के अलावा कुछ भी और साबित करने में नाकाम रहा है। जबकि भारत ने पाकिस्तान के 11 एयरबेस और 9 आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले किए और उसके सबूत भारत ने दिए हैं। जलते हुए आतंकी ठिकाने और ध्वस्त एयरबेस की तस्वीरें पाकिस्तान को परेशान कर रहे हैं। पाकिस्तान हर हाल में भारत में भी ऐसी ही तस्वीर देखना चाहता है। गुजरात में एक से बढ़कर एक इन्फ्रास्ट्रक्चर मौजूद हैं, जो भारत के कई उद्योग के लिए लाइफलाइन हैं।
इसके अलावा गुजरात में संवेदनशील ऊर्जा-इन्फ्रास्ट्रक्चर मौजूद हैं। रिफाइनरियां, कंटेनर टर्मिनल और प्रमुख उद्योगिक क्लस्टर। एक एयर-ड्रोन या क्रूज मिसाइल हमला ना सिर्फ विनाशक तबाही फैला सकता है, बल्कि वैश्विक तेल-और-उत्पाद कीमतों में उथल-पुथल, बीमा प्रीमियम में बढ़ोतरी और विदेशी निवेशकों के भरोसे को भी झटका दे सकता है। इसके अलावा, पाकिस्तान उसे जमकर इन्फॉर्मेशन वॉरफेयर में इस्तेमाल करेगा, इसीलिए हमें हर एक संभावित हमले को लेकर काफी गंभीरता से तैयार रहना होगा। जब पाकिस्तान बगैर किसी सबूत के भारतीय विमानों को लेकर इतने दावे कर सकता है और दुनियाभर की मीडिया उस फर्जी दावे को सही मानकर एंटी-इंडिया रिपोर्टिंग कर सकती है, तो सोचिए अगर वाकई ऐसी कोई तस्वीर बाहर निकलती तो पाकिस्तान और उसके सहयोगी किस स्तर तक उत्पात मचा सकते हैं।
अमेरिका का पाकिस्तान को मौन समर्थन
अमेरिका पाकिस्तान को फिर से हथियारबंद करना शुरू कर सकता है, जिसे चीन पहले से ही स्टील्थ विमानों, निगरानी और युद्धक्षेत्र की वास्तविक समय की खुफिया जानकारी के जरिए मदद कर रहा है। अगर पाकिस्तान गुजरात में रिफाइनरियों और बुनियादी ढांचे को निशाना बनाता है, तो अमेरिका शायद उसका मौन समर्थन करे। आर. जगन्नाथन ने इसके पीछे कुछ वजहों का हवाला दिया है। 1- अमेरिका और यूरोप पहले से ही सोचते हैं कि रूस से सस्ते कच्चे तेल की खरीद से भारत को फायदा होता है, साथ ही यूरोप को बेचे जाने वाले रिफाइंड उत्पादों से भी अच्छी कमाई होती है।
दूसरा, गुजरात न सिर्फ भारत के दो सबसे अमीर व्यापारियों, मुकेश अंबानी और गौतम अडानी का घर है, बल्कि देश के दो सबसे शक्तिशाली राजनेताओं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह का राजनीतिक गढ़ भी है। ऐसा लगता है कि अमेरिका का मानना है कि इन दोनों व्यापारियों को कमजोर करने से मोदी सरकार कमजोर हो सकती है।
तीसरा, भारतीय वायु सेना इस समय अपने सबसे कमजोर दौर से गुज़र रही है और पुराने मिग विमानों के रिटायर्ड होने की वजह से इसकी कुल स्क्वाड्रन संख्या घटकर 31 से भी कम रह गई है (जो पाकिस्तान की वायु सेना के लगभग बराबर है)। पाकिस्तान इसे अब असली नुकसान पहुंचाने के एक मौके के रूप में देख सकता है। पाकिस्तान जानता है कि अगर उसने कुछ साल और इंतजार किया तो भारतीय वायुसेना फिर से काफी ज्यादा ताकतवर हो जाएगी, क्योंकि 114 राफेल, तेजस-1, तेजस-2, और Su-57 जैसे कई प्रोजेक्ट पर भारत में काम चल रहा है। इसीलिए पाकिस्तान हर हाल में इस कमजोरी का फायदा उठाना चाहता है।
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान 11 एयरबेस गंवाने वाला पाकिस्तान अब क्या करने की कोशिश करेगा? 1970 के दशक से ही, पाकिस्तान जानता है कि वह पारंपरिक युद्ध में भारत को नहीं हरा सकता, इसलिए उसने आतंकवाद का रास्ता अपनाया। लेकिन अगर अब आतंकवाद भी काम नहीं आया, तो वो आगे क्या करेगा? हकीकत ये है कि पाकिस्तान, पिछले 10-12 सालों में भारत के अंदरूनी हिस्सों में आतंकी हमला करवाने में नाकाम रहा है और उसी की खीझ पुलवामा से लेकर पहलगाम का आतंकी हमला है। लेकिन अब जबकि भारत ने साफ साफ शब्दों में कहा है कि अगला आतंकी हमले का मतलब पाकिस्तान पर फिर हमला है तो फिर पाकिस्तान अब क्या करेगा?
भारत को हर हाल में नुकसान पहुंचाना पाकिस्तान का लक्ष्य!
सीनियर जर्नलिस्ट आर. जगन्नाथन ने दिप्रिंट में एक लेख में सी. क्रिस्टीन फेयर की किताब "फाइटिंग टू द एंड: द पाकिस्तान आर्मीज वे ऑफ वॉर" का हवाला दिया है। इस किताब में उन्होंने लिखा है कि पाकिस्तानी सेना कई बार सामरिक हार स्वीकार कर सकती है, लेकिन उसका मुख्य लक्ष्य भारत की आँखों में धूल झोंकना और उसे नुकसान पहुंचाना है। यानि, चाहे हर बार हारे, लेकिन पाकिस्तान की सेना भारत को नुकसान पहुंचाने के लक्ष्य से पीछे नहीं हटेगी। आर. जगन्नाथन ने लिखा है कि "मेरा सबसे अच्छा अनुमान यही है कि भारत को भड़काने की पाकिस्तान की अगली कोशिश आर्थिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने पर केंद्रित होगी। पाकिस्तान, चीन और अमेरिका को जो एक बात परेशान कर रही है, वह है भारत की मजबूत अर्थव्यवस्था और अगले 10-15 सालों में भू-राजनीति में तीसरे ध्रुव के रूप में उसके अपरिहार्य उदय की वैश्विक चर्चा। और इस उभरती हुई वास्तविकता को टालने का इससे बेहतर तरीका और क्या हो सकता है?"
यानि, भारत के उदय को रोकने के लिए उसकी अर्थव्यवस्था पर चोट करना अब पाकिस्तान का अगला मकसद हो सकता है और अमेरिका का इसमें मौन समर्थन होगा। पाकिस्तान अब भारत के बंदरगाहों, तेल संयंत्रों और ऊर्जा सप्लाई को निशाना बना सकता है। आर. जगन्नाथन ने लिखा है कि भारतीय नेताओं के हालिया बयानों में आक्रामकता देखी जा रही है, जो इस बात का संकेत है कि हमारे नेतृत्व को और खुफिया व्यवस्था को पश्चिमी सीमाओं पर कुछ बड़ा घटने की आशंका है। सवाल ये हैं कि राजनाथ सिंह और जनरल द्विवेदी को ठीक इसी समय कड़े बयान देने की ज़रूरत क्यों पड़ी?
क्या गुजरात में हमला कर सकता है पाकिस्तान?
आर. जगन्नाथन के मुताबिक, पाकिस्तान दूसरे दौर की जंग के लिए बेताब है। पहले दौर की जंग में वो कुछ भारतीय विमानों को गिराने के फर्जी दावों के अलावा कुछ भी और साबित करने में नाकाम रहा है। जबकि भारत ने पाकिस्तान के 11 एयरबेस और 9 आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले किए और उसके सबूत भारत ने दिए हैं। जलते हुए आतंकी ठिकाने और ध्वस्त एयरबेस की तस्वीरें पाकिस्तान को परेशान कर रहे हैं। पाकिस्तान हर हाल में भारत में भी ऐसी ही तस्वीर देखना चाहता है। गुजरात में एक से बढ़कर एक इन्फ्रास्ट्रक्चर मौजूद हैं, जो भारत के कई उद्योग के लिए लाइफलाइन हैं।
इसके अलावा गुजरात में संवेदनशील ऊर्जा-इन्फ्रास्ट्रक्चर मौजूद हैं। रिफाइनरियां, कंटेनर टर्मिनल और प्रमुख उद्योगिक क्लस्टर। एक एयर-ड्रोन या क्रूज मिसाइल हमला ना सिर्फ विनाशक तबाही फैला सकता है, बल्कि वैश्विक तेल-और-उत्पाद कीमतों में उथल-पुथल, बीमा प्रीमियम में बढ़ोतरी और विदेशी निवेशकों के भरोसे को भी झटका दे सकता है। इसके अलावा, पाकिस्तान उसे जमकर इन्फॉर्मेशन वॉरफेयर में इस्तेमाल करेगा, इसीलिए हमें हर एक संभावित हमले को लेकर काफी गंभीरता से तैयार रहना होगा। जब पाकिस्तान बगैर किसी सबूत के भारतीय विमानों को लेकर इतने दावे कर सकता है और दुनियाभर की मीडिया उस फर्जी दावे को सही मानकर एंटी-इंडिया रिपोर्टिंग कर सकती है, तो सोचिए अगर वाकई ऐसी कोई तस्वीर बाहर निकलती तो पाकिस्तान और उसके सहयोगी किस स्तर तक उत्पात मचा सकते हैं।
अमेरिका का पाकिस्तान को मौन समर्थन
अमेरिका पाकिस्तान को फिर से हथियारबंद करना शुरू कर सकता है, जिसे चीन पहले से ही स्टील्थ विमानों, निगरानी और युद्धक्षेत्र की वास्तविक समय की खुफिया जानकारी के जरिए मदद कर रहा है। अगर पाकिस्तान गुजरात में रिफाइनरियों और बुनियादी ढांचे को निशाना बनाता है, तो अमेरिका शायद उसका मौन समर्थन करे। आर. जगन्नाथन ने इसके पीछे कुछ वजहों का हवाला दिया है। 1- अमेरिका और यूरोप पहले से ही सोचते हैं कि रूस से सस्ते कच्चे तेल की खरीद से भारत को फायदा होता है, साथ ही यूरोप को बेचे जाने वाले रिफाइंड उत्पादों से भी अच्छी कमाई होती है।
दूसरा, गुजरात न सिर्फ भारत के दो सबसे अमीर व्यापारियों, मुकेश अंबानी और गौतम अडानी का घर है, बल्कि देश के दो सबसे शक्तिशाली राजनेताओं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह का राजनीतिक गढ़ भी है। ऐसा लगता है कि अमेरिका का मानना है कि इन दोनों व्यापारियों को कमजोर करने से मोदी सरकार कमजोर हो सकती है।
तीसरा, भारतीय वायु सेना इस समय अपने सबसे कमजोर दौर से गुज़र रही है और पुराने मिग विमानों के रिटायर्ड होने की वजह से इसकी कुल स्क्वाड्रन संख्या घटकर 31 से भी कम रह गई है (जो पाकिस्तान की वायु सेना के लगभग बराबर है)। पाकिस्तान इसे अब असली नुकसान पहुंचाने के एक मौके के रूप में देख सकता है। पाकिस्तान जानता है कि अगर उसने कुछ साल और इंतजार किया तो भारतीय वायुसेना फिर से काफी ज्यादा ताकतवर हो जाएगी, क्योंकि 114 राफेल, तेजस-1, तेजस-2, और Su-57 जैसे कई प्रोजेक्ट पर भारत में काम चल रहा है। इसीलिए पाकिस्तान हर हाल में इस कमजोरी का फायदा उठाना चाहता है।
You may also like
भाजपा सरकार किसानों व लोगों की आर्थिक तरक्की के लिए गौपालन को बढ़ावा दे रही है- हेमंत
सीहोरः प्राचीन संस्कृति की अनुपम छटा बिखेरता बारह खम्भा मेला प्रारंभ
बथुआ: स्वास्थ्य के लिए अद्भुत लाभ और गांठ-पथरी के उपचार में सहायक
झालर उतारते समय करंट से युवक की मौत
पुलिस स्मृति दिवस : शहीदों को अर्पित की श्रद्धांजलि