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क्या था वो चमत्कार जिसने इस देश को बना दिया जीरो से हीरो...अमेरिका का दोस्त तो चीन का दुश्मन, भारत ने चली उल्टी चाल!

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नई दिल्ली/सियोल : दक्षिण कोरिया दुनिया की एक अत्यधिक विकसित मिश्रित अर्थव्यवस्था है। 2025 तक यह एशिया में चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और दुनिया में 13वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है। आज इसे ताइवान, हांगकांग, सिंगापुर के साथ एशियाई चीते के रूप में जाना जाता है। मगर, यह देश एक समय बिल्कुल जीरो था। 1950 में जब भारत गणतंत्र बना था तो उस वक्त दक्षिण कोरिया भी अपनी नई कहानी लिख रहा था। मगर, उसके एक फैसले ने उसे जीरो से हीरो बना दिया। दरअसल, यह कहानी इसलिए बता रहे हैं कि क्योंकि दक्षिण कोरिया के शहर बुशान में ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच मुलाकात हुई। इस मुलाकात के बाद ही अमेरिका ने चीन पर 10 फीसदी टैरिफ कम कर दिया है।


शांत सुबह की भूमि कहा जाता है दक्षिण कोरिया

दक्षिण कोरिया पूर्वी एशिया में स्थित है जो कोरियाई प्रायद्वीप के दक्षिणी अर्धभाग को घेरे हुए है। इसे 'शांत सुबह की भूमि' कहा जाता है। इस देश के पश्चिम में चीन, पूर्व में जापान और उत्तर में उत्तर कोरिया स्थित है। देश की राजधानी सियोल दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा महानगरीय क्षेत्र और एक प्रमुख वैश्विक नगर है। यहां की आधिकारिक भाषा कोरियाई है जो हंगुल और हंजा दोनो लिपियों में लिखी जाती है। राष्ट्रीय मुद्रा वॉन है। यह अमेरिका का गैर नाटो सहयोगी देश है।


रूस और अमेरिका ने बांटा था कोरियाई प्रायद्वीप

दक्षिण कोरिया और उत्तर कोरिया पहले एक ही देश हुआ करते थे। तब इसे कोरिया कहा जाता था। कोरिया का बंटवारा 1910 में जापान के कोरियाई प्रायद्वीप के अधिग्रहण से शुरू हुआ था। 1945 में द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति पर कोरियाई प्रायद्वीप का दो भागों में बंटवारा हो गया। उस समय की दो महाशक्तियों सोवियत संघ और अमेरिका ने यह बंटवारा किया। 1948 में उत्तर और दक्षिण कोरिया आजाद हुए और उत्तर कोरिया साम्यवादी बना और दक्षिण कोरिया अमेरिका द्वारा प्रभावित था। इसके बाद 1950 में कोरियाई युद्ध जून में शुरू हो गया, जिसमें उत्तर का समर्थन चीन और दक्षिण का समर्थन अमेरिका ने किया।
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दुनिया का सबसे बड़ा सैन्य जमावड़ा यहीं पर
1953 में दोनों पक्षों के बीच एक शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए गए जिससे युद्धविराम हुआ। हालांकि, आज भी दोनो कोरिया आधिकारिक रूप से युद्धरत हैं, क्योंकि अभी तक किसी भी युद्ध समाप्ति पत्र पर हस्ताक्षर नहीं किए गए हैं। 1953 से ही कोरियाई प्रायद्वीप उत्तर और दक्षिण कोरिया के बीच असैन्य क्षेत्र के रूप में 38वीं समानान्तर रेखा पर बंटा हुआ है और इनकी सीमा विश्व की सर्वाधिक सैन्य जमावड़े वाली सीमा है।
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महज 3 दशक में ही जीरो से हीरो बन गया दक्षिण कोरिया
एक किताब Country Studies: South Korea के अनुसार, दक्षिण कोरिया ने महज तीन दशकों में एक अविकसित राष्ट्र से विकसित, उच्च आय वाले देश में खुद को बदल लिया, जहां तेजी से आर्थिक विकास दौड़ लगा रहा है। इस आर्थिक विकास को हान नदी पर चमत्कार भी कहा जाता है। अपने इस सफर के चलते दक्षिण कोरिया Organisation for Economic Co-operation and Development (OECD) और G-20 जैसे देशों के समूह में शामिल हो गया। यह 21वीं सदी के मध्य तक वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक प्रमुख भूमिका निभाने की क्षमता रखने वाले अगले 11 देशों के समूह में शामिल है।

यह था वो चमत्कार, जिसने द. कोरिया को शीर्ष पर पहुंचाया
1953 के बाद से बीते 60 साल के दौरान दक्षिण कोरिया की अर्थव्यवस्था के प्रमुख क्षेत्रों में चमत्कारी परिवर्तन आया है। 1950 के दौरान देश की अर्थव्यवस्था मुख्यतः कृषि-आधारित और कुछ हल्के उद्योगों पर आधारित थी। ऐसे समय में दक्षिण कोरिया ने एक बड़ा फैसला लिया। उसने अगले कुछ दशकों के दौरान अर्थव्यवस्था में हल्के उद्योगों और उपभोक्ता उत्पादों पर बल दिया और दशक 1970 और 1980 के दौरान भारी उद्योगों पर बल दिया। पहले 30 साल के दौरानराष्ट्रपति पार्क चुंग ही ने 1962 से पंचवर्षीय योजनाएं शुरू कीं, जिसके परिणामस्वरूप अर्थव्यवस्था बहुत तेजी से आगे बढ़ी और इसका स्वरूप भी बदला। दशक 1960 से 1990 के बीच हुई अभूतपूर्व उन्नति के कारण दक्षिण कोरिया को ताइवान, सिंगापुर और हांग कांग के साथ-साथ एक एशियाई चीता माना जाता है। वहीं, भारत ने गणतंत्र बनने के बाद सबसे ज्यादा भारी उद्योग पर बल दिया और बाद में हल्के उद्योगों पर जोर दिया।

रिसर्च पर जीडीपी का 5 फीसदी खर्च करता है यह देश
OECD सदस्यों के बीच दक्षिण कोरिया में एक अत्यधिक कुशल और मजबूत सामाजिक सुरक्षा प्रणाली है दक्षिण कोरिया अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में उन्नत अनुसंधान और विकास पर सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 4.93% खर्च करता है। वहीं, भारत अब भी 1 फीसदी भी नहीं खर्च कर पा रहा है, जबकि उसका लक्ष्य 2 फीसदी है। GDP के प्रतिशत के रूप में भारत ने अनुसंधान एवं विकास पर वित्त वर्ष 2020-21 में जीडीपी का 0.64% खर्च किया, जबकि अधिकांश विकसित देशों ने अपने GDP का 2% से अधिक R&D पर खर्च किया।

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