वॉशिंगटन/बीजिंग/नई दिल्ली: नवंबर में नई दिल्ली में क्वाड शिखर सम्मेलन का आयोजन होना था। लेकिन डोनाल्ड ट्रंप अक्टूबर महीने में ही एशिया का दौरा करके चले गये। भारत के खिलाफ ट्रंप अभी भी जहरीली भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिससे भारत-अमेरिका के स्ट्रैटजिक पार्टनरशिप पर गंभीर सवाल उठ खड़े हुए हैं। इसके अलावा अमेरिका के युद्ध सचिव पीट हेगसेथ ने इसी महीने के पहले हफ्ते में जापान, ऑस्ट्रेलिया और फिलीपींस के रक्षा मंत्रियों के साथ एक अलग बैठक की है। फिलीपींस के अलावा बाकी के तीनों देश क्वाड के सदस्य हैं। इसीलिए सवाल ये उठ रहे हैं कि क्या अमेरिका ने क्वाड से भारत को बाहर कर अब फिलीपींस को शामिल कर लिया है?
अब थोड़ा पीछे चलते हैं। 4 जुलाई 2025 को नई दिल्ली में एक एक डिफेंस प्रोग्राम के दौरान भारत के लेफ्टिनेंट जनरल राहुल आर सिंह ने खुलकर कहा था कि मई 2025 में हुए 88 घंटे लंबे भारत-पाकिस्तान सैन्य टकराव के दौरान चीन, पाकिस्तान को भारतीय सेना की गतिविधियों की लाइव जानकारी दे रहा था। यह खुलासा सिर्फ पाकिस्तान की रणनीतिक निर्भरता को नहीं, बल्कि चीन के उस बड़े खेल को भी उजागर करता है, जिसमें वह भारत के खिलाफ सबसे बड़े खतरे के तौर पर उभर आया है।
नवभारत टाइम्स से बात करते हुए रिटायर्ट लेफ्टिनेंट कर्नल जेएस सोढ़ी, जो स्ट्रैटजिक एनालिस्ट हैं और इंडो-पैसिफिक में सैन्य गतिविधियों पर गहरी नजर रखते हैं, उन्होंने क्वाड को 'बेअसर' बताया है। इसके अलावा उन्होंने चेतावनी दी है कि चीन, 2030 के बाद भारत पर हमला करेगा और भारत के पास अपने बचाव के लिए 5 सालों का वक्त है। उन्होंने इसके पीछे कई वजहों को बताया है। नवभारत टाइम्स पर आप जेएस सोढ़ी के साथ खास बातचीत को NBT के यूट्यूब चैनल पर देख सकते हैं। इस रिपोर्ट को हमने जेएस सोढ़ी से हुई बातचीत और इस मुद्दे पर उनके किए गये रिसर्च लेखों के आधार पर तैयार किया है।
चीन क्यों 2030 के बाद कर सकता है भारत पर हमला?
रिटायर्ड सैन्य अधिकारी जेएस सोढ़ी ने नवभारत टाइम्स से बात करते हुए जून 2025 में चीन के कुनमिंग शहर में चीन, पाकिस्तान और बांग्लादेश के अधिकारियों की त्रिपक्षीय बैठक की तरफ इशारा किया। इस बैठक को उन्होंने एक नए क्षेत्रीय गठबंधन बनने की तरफ उठाया गया संकेत कहा। उन्होंने कहा कि इसका मकसद "कनेक्टिविटी और सहयोग" बताया गया, लेकिन असल लक्ष्य भारत को क्षेत्रीय समीकरण से बाहर करना है। यह नया ब्लॉक, जो जल्द ही आधिकारिक रूप ले सकता है, दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (SAARC) का एक विकल्प बनने की कोशिश है। एक ऐसा SAARC जिसमें भारत नहीं होगा। साल 2014 के काठमांडू सम्मेलन के बाद से SAARC भी लगभग मृतप्राय है, और अब चीन इस खाली जगह को भरने में लगा है। बांग्लादेश भी पाकिस्तान की तरफ अब पूरी तरह से चीन की गोदी में बैठ चुका है।
जेएस सोढ़ी के मुताबिक भारत को घेरने की चीन की रणनीति दो दिशाओं से चल रही है। समुद्र की तरफ से और जमीन की तरफ से। समुद्र मार्ग पर चीन का "स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स" यानी "मोती की माला" लगभग पूरी हो चुकी है। पाकिस्तान का ग्वादर पोर्ट, श्रीलंका का हंबनटोटा, बांग्लादेश का कॉक्स बाजार और म्यांमार के क्यौकफ्यू द्वीप पर चीन की बढ़ती गतिविधियां भारत को समुद्र से घेरने का संकेत देती हैं। वहीं, जमीन पर बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन ने चीन को दूसरा मोर्चा खोलने का मौका दे दिया है। चीन अब बांग्लादेश के लालमनीरहाट एयरपोर्ट को फिर से बनाने की कोशिश कर रहा है, जो भारत के चिकन नेक कॉरिडोर से महज 20 किलोमीटर दूर है।
अमेरिका अब चीन का नहीं कर सकता मुकाबला!
जेएस सोढ़ी ने हमसे बात करते हुए कहा कि अमेरिका के पास अब इतनी शक्ति नहीं है कि वो चीन का मुकाबला करे और डोनाल्ड ट्रंप का शी जिनपिंग से मुलाकात से पहले G2 शब्द का सोशल मीडिया पर इस्तेमाल इसी का इशारा है। उन्होंने कहा कि डोनाल्ड ट्रंप ने चीन को सुपरपावर मान लिया है। उन्होंने अघोषित तौर पर दुनिया का बंटवारा कर लिया है, जिसका एक हिस्सा अब चीन के पास है। दूसरी तरफ चीन सिर्फ भौगोलिक विस्तार से नहीं, बल्कि टेक्नोलॉजी और हथियार क्षमता में भी भारत और अमेरिका दोनों से आगे निकलने की कोशिश कर रहा है।
जुलाई 2025 में अमेरिकी रक्षा सचिव पीट हेगसेथ ने चेतावनी दी थी कि चीन के हाइपरसोनिक मिसाइलें अमेरिकी नौसेना के 11 एयरक्राफ्ट कैरियर्स को महज 20 मिनट में नष्ट कर सकती हैं। इसके अलावा चीन का "डेथ स्टार" प्रोजेक्ट, जो माइक्रोवेव रेडिएशन से दुश्मन के सैटेलाइट्स को ध्वस्त करने में सक्षम है, उससे अब अमेरिका को वो अंतरिक्ष में भी मार सकता है। इसके साथ ही, एक मिलियन "कामीकाज़े ड्रोन" और ह्यूमनॉइड रोबोट्स का प्रोडक्शन बीजिंग की बड़े युद्ध की तैयारी की तरफ इशारा करता है। इसके अलावा चीन की तैयारी अब "मल्टी-डोमेन ऑपरेशन्स" यानी भूमि, समुद्र, वायु, साइबर, इलेक्ट्रोमैग्नेटिक और स्पेस में एक साथ लड़ने की है। इसके अलावा ब्रह्मपुत्र पर मेडोग बांध बनाकर चीन ने भारत के खिलाफ 'वॉटर युद्ध' को शुरू करने का भी अघोषित ऐलान कर दिया है।
इसीलिए जेएस सोढ़ी चेतावनी देते हैं कि भारत के पास पांच सालों का वक्त है। उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि हमारे पास क्षमता नहीं है, लेकिन चीन से युद्ध लड़ने के लिए हमें अपनी क्षमता में और इजाफा करना होगा। हमें चीन के ऊपर से अपनी कारोबारी निर्भरता को काफी तेजी से कम करना होगा। हमें अपनी सैन्य शक्ति को चीन के मुकाबले ही तैयार करना होगा और पांच सालों का वक्त कम नहीं होता। उन्होंने कहा कि भारत के लिए फैसला निर्णायक होने वाला है और भारत अपनी क्षमता को अगर उस स्तर तक बढ़ा लेता है, जहां चीन को हमले की स्थिति में भारी नुकसान का डर हो, तो शायद चीन ऐसा करने से पहले सौ बार सोचेगा।
अब थोड़ा पीछे चलते हैं। 4 जुलाई 2025 को नई दिल्ली में एक एक डिफेंस प्रोग्राम के दौरान भारत के लेफ्टिनेंट जनरल राहुल आर सिंह ने खुलकर कहा था कि मई 2025 में हुए 88 घंटे लंबे भारत-पाकिस्तान सैन्य टकराव के दौरान चीन, पाकिस्तान को भारतीय सेना की गतिविधियों की लाइव जानकारी दे रहा था। यह खुलासा सिर्फ पाकिस्तान की रणनीतिक निर्भरता को नहीं, बल्कि चीन के उस बड़े खेल को भी उजागर करता है, जिसमें वह भारत के खिलाफ सबसे बड़े खतरे के तौर पर उभर आया है।
नवभारत टाइम्स से बात करते हुए रिटायर्ट लेफ्टिनेंट कर्नल जेएस सोढ़ी, जो स्ट्रैटजिक एनालिस्ट हैं और इंडो-पैसिफिक में सैन्य गतिविधियों पर गहरी नजर रखते हैं, उन्होंने क्वाड को 'बेअसर' बताया है। इसके अलावा उन्होंने चेतावनी दी है कि चीन, 2030 के बाद भारत पर हमला करेगा और भारत के पास अपने बचाव के लिए 5 सालों का वक्त है। उन्होंने इसके पीछे कई वजहों को बताया है। नवभारत टाइम्स पर आप जेएस सोढ़ी के साथ खास बातचीत को NBT के यूट्यूब चैनल पर देख सकते हैं। इस रिपोर्ट को हमने जेएस सोढ़ी से हुई बातचीत और इस मुद्दे पर उनके किए गये रिसर्च लेखों के आधार पर तैयार किया है।
चीन क्यों 2030 के बाद कर सकता है भारत पर हमला?
रिटायर्ड सैन्य अधिकारी जेएस सोढ़ी ने नवभारत टाइम्स से बात करते हुए जून 2025 में चीन के कुनमिंग शहर में चीन, पाकिस्तान और बांग्लादेश के अधिकारियों की त्रिपक्षीय बैठक की तरफ इशारा किया। इस बैठक को उन्होंने एक नए क्षेत्रीय गठबंधन बनने की तरफ उठाया गया संकेत कहा। उन्होंने कहा कि इसका मकसद "कनेक्टिविटी और सहयोग" बताया गया, लेकिन असल लक्ष्य भारत को क्षेत्रीय समीकरण से बाहर करना है। यह नया ब्लॉक, जो जल्द ही आधिकारिक रूप ले सकता है, दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (SAARC) का एक विकल्प बनने की कोशिश है। एक ऐसा SAARC जिसमें भारत नहीं होगा। साल 2014 के काठमांडू सम्मेलन के बाद से SAARC भी लगभग मृतप्राय है, और अब चीन इस खाली जगह को भरने में लगा है। बांग्लादेश भी पाकिस्तान की तरफ अब पूरी तरह से चीन की गोदी में बैठ चुका है।
जेएस सोढ़ी के मुताबिक भारत को घेरने की चीन की रणनीति दो दिशाओं से चल रही है। समुद्र की तरफ से और जमीन की तरफ से। समुद्र मार्ग पर चीन का "स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स" यानी "मोती की माला" लगभग पूरी हो चुकी है। पाकिस्तान का ग्वादर पोर्ट, श्रीलंका का हंबनटोटा, बांग्लादेश का कॉक्स बाजार और म्यांमार के क्यौकफ्यू द्वीप पर चीन की बढ़ती गतिविधियां भारत को समुद्र से घेरने का संकेत देती हैं। वहीं, जमीन पर बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन ने चीन को दूसरा मोर्चा खोलने का मौका दे दिया है। चीन अब बांग्लादेश के लालमनीरहाट एयरपोर्ट को फिर से बनाने की कोशिश कर रहा है, जो भारत के चिकन नेक कॉरिडोर से महज 20 किलोमीटर दूर है।
अमेरिका अब चीन का नहीं कर सकता मुकाबला!
जेएस सोढ़ी ने हमसे बात करते हुए कहा कि अमेरिका के पास अब इतनी शक्ति नहीं है कि वो चीन का मुकाबला करे और डोनाल्ड ट्रंप का शी जिनपिंग से मुलाकात से पहले G2 शब्द का सोशल मीडिया पर इस्तेमाल इसी का इशारा है। उन्होंने कहा कि डोनाल्ड ट्रंप ने चीन को सुपरपावर मान लिया है। उन्होंने अघोषित तौर पर दुनिया का बंटवारा कर लिया है, जिसका एक हिस्सा अब चीन के पास है। दूसरी तरफ चीन सिर्फ भौगोलिक विस्तार से नहीं, बल्कि टेक्नोलॉजी और हथियार क्षमता में भी भारत और अमेरिका दोनों से आगे निकलने की कोशिश कर रहा है।
जुलाई 2025 में अमेरिकी रक्षा सचिव पीट हेगसेथ ने चेतावनी दी थी कि चीन के हाइपरसोनिक मिसाइलें अमेरिकी नौसेना के 11 एयरक्राफ्ट कैरियर्स को महज 20 मिनट में नष्ट कर सकती हैं। इसके अलावा चीन का "डेथ स्टार" प्रोजेक्ट, जो माइक्रोवेव रेडिएशन से दुश्मन के सैटेलाइट्स को ध्वस्त करने में सक्षम है, उससे अब अमेरिका को वो अंतरिक्ष में भी मार सकता है। इसके साथ ही, एक मिलियन "कामीकाज़े ड्रोन" और ह्यूमनॉइड रोबोट्स का प्रोडक्शन बीजिंग की बड़े युद्ध की तैयारी की तरफ इशारा करता है। इसके अलावा चीन की तैयारी अब "मल्टी-डोमेन ऑपरेशन्स" यानी भूमि, समुद्र, वायु, साइबर, इलेक्ट्रोमैग्नेटिक और स्पेस में एक साथ लड़ने की है। इसके अलावा ब्रह्मपुत्र पर मेडोग बांध बनाकर चीन ने भारत के खिलाफ 'वॉटर युद्ध' को शुरू करने का भी अघोषित ऐलान कर दिया है।
इसीलिए जेएस सोढ़ी चेतावनी देते हैं कि भारत के पास पांच सालों का वक्त है। उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि हमारे पास क्षमता नहीं है, लेकिन चीन से युद्ध लड़ने के लिए हमें अपनी क्षमता में और इजाफा करना होगा। हमें चीन के ऊपर से अपनी कारोबारी निर्भरता को काफी तेजी से कम करना होगा। हमें अपनी सैन्य शक्ति को चीन के मुकाबले ही तैयार करना होगा और पांच सालों का वक्त कम नहीं होता। उन्होंने कहा कि भारत के लिए फैसला निर्णायक होने वाला है और भारत अपनी क्षमता को अगर उस स्तर तक बढ़ा लेता है, जहां चीन को हमले की स्थिति में भारी नुकसान का डर हो, तो शायद चीन ऐसा करने से पहले सौ बार सोचेगा।
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