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ब्राह्मणों को रूसी तेल से फायदा... भारत में जातीय हिंसा भड़काना चाहता है अमेरिका? ट्रंप के सलाहकार की स्क्रिप्ट कौन लिख रहा?

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वॉशिंगटन: रूसी तेल खरीदने को लेकर भारत पर 25 प्रतिशत का अतिरिक्त टैरिफ लगाने वाले अमेरिका का खेल अब धीरे धीरे समझ में आने लगा है। डोनाल्ड ट्रंप ने पहले आरोप लगाया था कि भारत कच्चा तेल खरीदकर रूस को यूक्रेन में जंग लड़ने के लिए फंड कर रहा है। फिर वाइट हाउस में डोनाल्ड ट्रंप के कारोबारी सलाहकार पीटर नवारो ने यूक्रेन युद्ध को 'मोदी का युद्ध' कहा, फिर नवारो ने कहा कि 'रूसी तेल से भारत के कुछ कारोबारियों को फायदा हो रहा है' और अब पीटर नवारो ने कहा है कि 'रूसी तेल से भारत के ब्राह्मणों को फायदा हो रहा है।'



वाइट हाउस के व्यापार सलाहकार से ऐसे बयान की उम्मीद किसी ने नहीं की थी और इस बयान से साफ पता चलता है कि अमेरिका की मंशा क्या है।अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शीर्ष व्यापार सलाहकार पीटर नवारो ने कहा कि रूसी तेल "ब्राह्मणों को फायदा हो रहा है, भारतीय जनता की कीमत पर।" ऐसे में सवाल यह है कि किसी भी आर्थिक आलोचना में भारत की जातियों का जिक्र क्यों किया गया है? इसे साधारण बयान हरगिज नहीं समझा जा सकता है और इसके पीछे गहरी राजनीतिक सोच छिपी है।



अमेरिका 'ब्राह्मणों' के खिलाफ हिंसा चाहता है?

सबसे बड़ा सवाल ये है कि ट्रंप के सलाहकार पीटर नवारो जो आए दिन बोल रहे हैं, उनकी स्क्रिप्ट कौन लिख रहा है? आखिर वो कौन है जो भारत में जातीय हिंसा चाहता है? निश्चित तौ पर पीटर नवारो की ये भाषा सिर्फ भारत के रूसी तेल खरीदने के लिए नहीं है, बल्कि ये भारतीय समाज के भीतर जातीय विभाजन को भड़काना के लिए होगा। वो भारत की राजनीति में आग लगाना चाहते हैं। ऐसे संवेदनशील मुद्दे पर कोई बाहरी नेता कैसे बोल सकता है? अमेरिकी थिंक टैंक CNAS के इंडो-पैसिफिर एनालिस्ट डेरेक जे ग्रॉसमैन ने पीटर नवारो के इस बयान पर कहा है कि 'भारत में जातिगत अशांति को बढ़ावा देना कभी भी अमेरिकी विदेश नीति नहीं होनी चाहिए।' वहीं द स्किन डॉक्टर नाम के एक्स अकाउंट से कहा गया है कि 'निश्चित तौर पर, उनके बीच का कोई आत्म-घृणा करने वाला कोई भारतीय, उन्हें भारत की कमजोरियों पर हमला करने के लिए गाइड कर रहा है, या फिर वे उन लोगों के साथ मिले हुए हैं जो जातिगत युद्धों को बढ़ावा देकर भारत में सत्ता हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं, या दोनों।'



सीनियर जर्नलिस्ट अभिजीत मजूमदार ने पीटर नवारो के बयान पर लिखा है कि "ट्रंप के व्यापार सलाहकार पीटर नवारो का कहना है कि "ब्राह्मण रूसी तेल से मुनाफा कमा रहे हैं", हो सकता है कि वह पागल लगें, लेकिन ऐसा है नहीं। ट्रंप प्रशासन भारत की जातिगत दरारों का फायदा उठाने की कोशिश में डीप स्टेट-कम्युनिस्ट-इस्लामिस्ट की रणनीति अपना रहा है। हताश और भयावह।" पीटर नवारो के इस बयान से साफ जाहिर होता है कि अमेरिका अब भारत में अशांति फैलाने पर उतर आया है। हो सकता है आने वाले वक्त में अमेरिका में जातीय हिंसा भड़के और इसके पीछे अमेरिका की खुफिया एजेंसियां हो सकती है। इससे कतई इनकार नहीं किया जा सकता है कि अमेरिका, अब भारत में भी बांग्लादेश और पाकिस्तान की तरह सत्ता परिवर्तन करने की कोशिशों में जुट गया हो और इसके लिए वो जातीय घृणा और हिंसा फैलाने की कोशिश कर रहा हो।



सत्ता परिवर्तन के लिए कुख्यात रहा है अमेरिका

अमेरिका के लिए देशों में दंगा भड़काकर, आतंक और अशांति फैलाकर, विपक्षी नेताओं को पैसे देकर, एनजीओ को फंड देकर देशों को अस्थिर करने का लंबा इतिहास रहा है। हम आपको कुछ ऐसे देशों के नाम बता रहे हैं, जहां अमेरिका कामयाबी के साथ ऐसा कर चुका है। ये सिर्फ कुछ उदाहरण है, लिस्ट इतनी लंबी है, जिसे एक खबर में समेटना नामुमकिन है।
  • ईरान (1953) – प्रधानमंत्री मोहम्मद मोसादेग को CIA ने देश में दंगा भड़काकर हटाया
  • ग्वाटेमाला (1954) – लोकतांत्रिक राष्ट्रपति जैकोबो आर्बेन्ज को अशांति फैलाकर सत्ता से हटाया
  • कांगो (1961) – प्रधानमंत्री पैट्रिस लुमुम्बा की हत्या और सत्ता परिवर्तन, अमेरिका पर सीधा आरोप
  • ब्राजील (1964) – राष्ट्रपति गौलार्ट के खिलाफ सैन्य तख्ता पलट में अमेरिका का सीधा समर्थन
  • चिली (1973) – लोकतांत्रिक राष्ट्रपति साल्वाडोर अयेन्दे को अमेरिका ने सत्ता से हटाया
  • ग्रीस (1967)- अमेरिका की मदद से सेना ने देश की सरकार को गिराया, सैन्य शासन लगाया
  • इराक (2003) – सद्दाम हुसैन को सत्ता से हटाकर फांसी पर चढ़ाया
  • लीबिया (2011) – गद्दाफी सरकार का तख्ता पलट, बाद में भीड़ ने उनकी हत्या की
  • पाकिस्तान- इमरान खान ने अमेरिका पर अपनी सरकार को गिराने का आरोप लगाया था
  • बांग्लादेश में 2024 में शेख हसीना की सरकार गिराने के पीछे भी अमेरिका के हाथ होने के आरोप
  • अमेरिका लंबे वक्त से वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो को सत्ता से हटाने की कोशिशें कर रहा है।
ये एक छोटी सी लिस्ट है जिसमें अमेरिका की सीधी भागीदारी रही है। हालांकि भारत में भी सत्ता परिवर्तन के लिए अमेरिका कई बार हाथ पैर मार चुका है, लेकिन भारत में सीआईए और अमेरिकी प्रशासन अभी तक ऐसा करने में नाकाम रहा है। जॉर्ज सोरोस जैसे कारोबारी लगातार भारत के लोकतंत्र, भारत के संविधान और भारत की सरकार के खिलाफ जहर उगलते रहे हैं। इसलिए भारत को, खासकर भारतीय जनता को बहुत सावधान रहना होगा। अमेरिकी साजिश को हर हाल में नाकाम करना होगा और सबसे बड़ी बात ऐसी ताकतों को मुंहतोड़ जवाब देना होगा।

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