कीव: यूक्रेन के चेरनोबिल परमाणु आपदा स्थल के पास से आई कुत्तों की तस्वीरों ने दुनिया को हैरान कर दिया है। इन कुत्तों का रंग नीला पड़ गया है। इलाके में रहने वाले कुत्तों की देखभाल करने वाले डॉग्स ऑफ चेरनोबिल ने एक वीडियो शेयर किया है। इसमें कई नीले रंग के शिकारी कुत्ते दिखाई दे रहे हैं। स्थानीय लोगों का दावा है कि यह बदलाव सिर्फ एक हफ्ते के अंदर हुआ है और उन्हें इसकी वजह का पता नहीं है। वहीं कई लोगों ने इसे 40 साल पहले चेरनोबिल परमाणु ऊर्जा संयंत्र में हुए हादसे से जोड़ा है।
डॉग्स ऑफ चेरनोबिल नाम की इस संस्था ने नीले कुत्तों की फोटो और तस्वीरे शेयर करते हुए इसे एक अनोखा अनुभव कहा है, जिस पर चर्चा की जरूरत है। संगठन ने लिखा कि हम नसबंदी के लिए कुत्तों को पकड़ने की कोशिश रहे थे। इस दौरान हमें तीन ऐसे कुत्ते देखने को मिले जो पूरी तरह से नीले थे। हम समझ नहीं आ रहा कि ये आखिर कैसे हुआ है कि इनका रंग इतना ज्यादा बदल गया।
दुनियाभर में शुरू हुई चर्चासंगठन ने कहा कि शहर के लोग हमसे पूछ रहे थे कि कुत्ते नीले क्यों हैं। हमारे पास इसका जवाब नहीं है क्योंकि हमें भी इसका सही कारण नहीं पता है। हम इन कुत्तों को पकड़ने की कोशिश कर रहे हैं ताकि पता चल सके कि इनके साथ क्या हो रहा है। हमारा ऐसा मानना है कि वे किसी रसायन के संपर्क में आए होंगे। इनको पकड़ना भी मुश्किल हो रहा है। ये कुत्ते बहुत सक्रिय हैं और अभी तक हम उन्हें पकड़ नहीं पाए हैं।
डॉग्स ऑफ चेरनोबिल की ओर से शेयर की गई वीडियो और तस्वीरों पर सोशल मीडिया पर काफी ज्यादा प्रतिक्रिया हुई है। इससे लोगों के मन में कई तरह के सवाल पदा हुए हैं। कई लोगों ने इन कुत्तों को बचाने की अपील की है। साथ ही कई लोगों ने परमाणु खतरों की तरफ इशारा किया है। एक यूजर ने लिखा कि ये हमें परमाणु खतरों से आगाह करता है।
क्या हुआ था चेरनोबिल मेंडॉग्स ऑफ चेरनोबिल नाम का संगठन उन कुत्तों की देखभाल करता है, जो 1986 में चेरनोबिल परमाणु ऊर्जा संयंत्र में हुए विनाशकारी परमाणु हादसे के बाद निकासी के दौरान पीछे छूट गए पालतू जानवरों के वंशज हैं। संगठन का मानना है कि चेरनोबिल परमाणु ऊर्जा संयंत्र के आसपास 250 से ज्यादा आवारा कुत्ते रहते हैं।
तत्कालीन सोवियत संघ के चेर्नोबल स्थित न्यूक्लियर प्लांट में 26 अप्रैल 1986 को विनाशकारी धमाका हुआ था। यह हादसा इतना भयानक था कि चंद घंटे में प्लांट में काम करने वाले 40 कर्मचारियों की मौत हो गई। इसके अलावा सैकड़ों कर्मचारी न्यूक्लियर रेडिएशन की वजह से बुरी तरह से जल गए। सोवियत संघ के टूटने के बाद चेरनोबिल शहर यूक्रेन के हिस्से में आ गया। इस हादसे के असर आज भी एक बड़े क्षेत्र में देखे जाते हैं।
डॉग्स ऑफ चेरनोबिल नाम की इस संस्था ने नीले कुत्तों की फोटो और तस्वीरे शेयर करते हुए इसे एक अनोखा अनुभव कहा है, जिस पर चर्चा की जरूरत है। संगठन ने लिखा कि हम नसबंदी के लिए कुत्तों को पकड़ने की कोशिश रहे थे। इस दौरान हमें तीन ऐसे कुत्ते देखने को मिले जो पूरी तरह से नीले थे। हम समझ नहीं आ रहा कि ये आखिर कैसे हुआ है कि इनका रंग इतना ज्यादा बदल गया।
दुनियाभर में शुरू हुई चर्चासंगठन ने कहा कि शहर के लोग हमसे पूछ रहे थे कि कुत्ते नीले क्यों हैं। हमारे पास इसका जवाब नहीं है क्योंकि हमें भी इसका सही कारण नहीं पता है। हम इन कुत्तों को पकड़ने की कोशिश कर रहे हैं ताकि पता चल सके कि इनके साथ क्या हो रहा है। हमारा ऐसा मानना है कि वे किसी रसायन के संपर्क में आए होंगे। इनको पकड़ना भी मुश्किल हो रहा है। ये कुत्ते बहुत सक्रिय हैं और अभी तक हम उन्हें पकड़ नहीं पाए हैं।
डॉग्स ऑफ चेरनोबिल की ओर से शेयर की गई वीडियो और तस्वीरों पर सोशल मीडिया पर काफी ज्यादा प्रतिक्रिया हुई है। इससे लोगों के मन में कई तरह के सवाल पदा हुए हैं। कई लोगों ने इन कुत्तों को बचाने की अपील की है। साथ ही कई लोगों ने परमाणु खतरों की तरफ इशारा किया है। एक यूजर ने लिखा कि ये हमें परमाणु खतरों से आगाह करता है।
क्या हुआ था चेरनोबिल मेंडॉग्स ऑफ चेरनोबिल नाम का संगठन उन कुत्तों की देखभाल करता है, जो 1986 में चेरनोबिल परमाणु ऊर्जा संयंत्र में हुए विनाशकारी परमाणु हादसे के बाद निकासी के दौरान पीछे छूट गए पालतू जानवरों के वंशज हैं। संगठन का मानना है कि चेरनोबिल परमाणु ऊर्जा संयंत्र के आसपास 250 से ज्यादा आवारा कुत्ते रहते हैं।
तत्कालीन सोवियत संघ के चेर्नोबल स्थित न्यूक्लियर प्लांट में 26 अप्रैल 1986 को विनाशकारी धमाका हुआ था। यह हादसा इतना भयानक था कि चंद घंटे में प्लांट में काम करने वाले 40 कर्मचारियों की मौत हो गई। इसके अलावा सैकड़ों कर्मचारी न्यूक्लियर रेडिएशन की वजह से बुरी तरह से जल गए। सोवियत संघ के टूटने के बाद चेरनोबिल शहर यूक्रेन के हिस्से में आ गया। इस हादसे के असर आज भी एक बड़े क्षेत्र में देखे जाते हैं।
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