आज के दौर में न केवल पुरुष बल्कि महिलाएं इनके कंधे से कंधा मिलाकर हर एक क्षेत्र में अपना योगदान दे रही है। फिर चाहे बात आसमान में एरोप्लेन की उड़ान भरना हो या देश-विदेश में अपनी पहचान बनाना हो।
फिर चाहे भारतीय सेना में शामिल होकर वह दुश्मनों को दांतों चने चबवाने का काम हो। महिलाएं बखूबी अपने कार्य को निभा रही हैं। उनकी बढ़ती भागीदारी, जज्बा, हौसला और समर्पण को देखते हुए किसी एक जेंडर की पहचान नहीं रह गया है। 10वीं या 12वीं पास करने के तुरंत बाद युवा इंडियन आर्मी में शामिल होकर देश सेवा में तत्पर होना चाहता है। अब ऐसे में यह नौकरी नहीं बल्कि यह उसे जवान की पहचान बन जाती है। खासतौर से जब महिलाएं जंग के वर्दी पहनकर कदम रखती है, तो एक अलग रौब नजर आता है। अगर आप भी भारतीय सेना में जाने का सपना देख रही हैं। लेकिन आपको यह समझ नहीं आ रहा है कि इसमें शामिल होने के लिए क्या करें।
इस लेख में आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि भारतीय सेना में महिलाएं कैसे नौकरी पा सकती हैं। साथ ही यह भी जानेंगे कि पुरुषों की ट्रेनिंग से कितनी अलग होती है भर्ती।
भारतीय सेना में महिलाएं कैसे पा सकती हैं नौकरी?
पुरुषों की तरह महिलाएं भी अब भारतीय सेना में नौकरी पा सकती हैं। इंडियन आर्मी में महिलाओं के लिए वर्तमान में कई एंट्री ऑप्शन मौजूद हैं, जिसके जरिए वे अधिकारी के रूप में सेना में शामिल हो सकती हैं। सबसे प्रमुख तरीका है शॉर्ट सर्विस कमीशन, जिसके तहत महिलाएं थल सेना, वायु सेना और नौसेना में 10 से 14 साल की सेवा के लिए भर्ती होती हैं। वहीं कुछ विभागों में अब परमानेंट कमीशन की सुविधा भी दी जा रही है।
नेशनल डिफेंस एकेडमी के जरिए भी महिलाएं ऑफिसर ट्रेनिंग के लिए चयनित हो सकती हैं। इसके लिए UPSC द्वारा NDA परीक्षा आयोजित की जाती है। इसके अलावा कंबाइंड डिफेंस सर्विस परीक्षा, मिलिट्री नर्सिंग सर्विस, एनसीसी स्पेशल एंट्री और जज एडवोकेट जनरल जैसे पदों पर नौकरी पा सकती हैं।
भारतीय सेना में पुरुषों की ट्रेनिंग से कितनी अलग होती है महिलाओं की भर्ती?
इंडियन आर्मी में महिलाओं की भर्ती प्रक्रिया में लिखित परीक्षा, मेडिकल टेस्ट और SSB इंटरव्यू शामिल होते हैं। योग्य उम्मीदवारों को सेना की ट्रेनिंग अकादमियों में प्रशिक्षण दिया जाता है। हालांकि कुछ फिजिकल मानकों में पुरुषों और महिलाओं के लिए अंतर होता है। जैसे दौड़ की दूरी, पुश-अप्स और वजन उठाने के मापदंड पुरुषों की तुलना में अलग है। इसके अलावा, कुछ युद्ध संबंधी विभाग में अभी भी महिलाओं की भागीदारी सीमित है। लेकिन मानसिक और लीडरशिप ट्रेनिंग समान होती है।
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