8th Pay Commission: देश के लाखों केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को जल्द ही 8वें वेतन आयोग (8th Pay Commission) का तोहफा मिल सकता है। आमतौर पर हर 10 साल में एक नए वेतन आयोग का गठन किया जाता है, जो कर्मचारियों के वेतन, भत्ते और पेंशन की समीक्षा करता है और उनमें समय के अनुरूप बदलाव की सिफारिश करता है। 7वां वेतन आयोग 2016 में लागू हुआ था, इसलिए अब 8वें वेतन आयोग की चर्चाएं जोर पकड़ रही हैं।
कब हो सकता है गठन और लागू?-
पारंपरिक समयरेखा: अगर पारंपरिक 10 साल के चक्र को देखें तो 8वें वेतन आयोग का गठन 2023 के अंत या 2024 की शुरुआत में हो जाना चाहिए था और इसकी सिफारिशें 1 जनवरी 2026 से लागू होनी चाहिए।
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चुनावों का प्रभाव: हालांकि, बीच में लोकसभा चुनावों (2024) के कारण इस प्रक्रिया में कुछ देरी हो सकती है या नई सरकार के गठन के बाद इस पर तेजी से काम किया जा सकता है।
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मांग: कर्मचारी संगठन काफी समय से 8वें वेतन आयोग के गठन की मांग कर रहे हैं।
8वें वेतन आयोग से केंद्रीय कर्मचारियों की सैलरी में अच्छी खासी बढ़ोतरी की उम्मीद है।
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न्यूनतम वेतन: 7वें वेतन आयोग ने न्यूनतम वेतन ₹18,000 प्रति माह निर्धारित किया था। कर्मचारी संगठन मांग कर रहे हैं कि 8वें वेतन आयोग में इसे बढ़ाकर ₹26,000 प्रति माह या उससे अधिक किया जाए। कुछ रिपोर्ट्स में यह भी कहा जा रहा है कि यह ₹30,000 तक भी जा सकता है, लेकिन यह सब आयोग की सिफारिशों पर निर्भर करेगा।
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फिटमेंट फैक्टर: फिटमेंट फैक्टर एक महत्वपूर्ण कारक है जिससे कर्मचारियों का मूल वेतन बढ़ता है। 7वें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर 2.57 गुना था। 8वें वेतन आयोग में इसे बढ़ाकर 3.00 गुना से 3.68 गुना तक किए जाने की अटकलें हैं। अगर फिटमेंट फैक्टर 3.68 गुना किया जाता है, तो न्यूनतम वेतन ₹26,000 के आधार पर मूल वेतन काफी बढ़ सकता है। (उदाहरण: ₹26,000 x 3.68)।
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महंगाई भत्ता (DA) का विलय: एक संभावना यह भी जताई जाती है कि जब महंगाई भत्ता (DA) 50% को पार कर जाता है (जैसा कि अभी है), तो उसे मूल वेतन में मिला दिया जाए और फिर नए वेतनमान तय किए जाएं। इससे भी कर्मचारियों के वेतन में अच्छी बढ़ोतरी हो सकती है।
कुछ रिपोर्ट्स में यह भी कहा जा रहा है कि सरकार वेतन आयोग की पारंपरिक प्रणाली से हटकर एक नई व्यवस्था लागू करने पर विचार कर सकती है, जिसमें कर्मचारियों का वेतन उनके प्रदर्शन और महंगाई के आधार पर समय-समय पर स्वतः समायोजित हो जाएगा (जैसे डॉ. अक्रॉयड फॉर्मूला)। अगर ऐसा होता है तो हर 10 साल में वेतन आयोग के गठन की जरूरत नहीं पड़ेगी।
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