मुंबई – पूर्व भारतीय सेना प्रमुख जनरल मनोज नरवणे ने पाकिस्तान के साथ युद्ध की वकालत करने वालों की आलोचना करते हुए कहा कि युद्ध कोई रोमांटिक बॉलीवुड फिल्म नहीं है। पुणे में एक कार्यक्रम में बोलते हुए उन्होंने सशस्त्र संघर्ष की विनाशकारी मानवीय और सामाजिक लागत पर प्रकाश डाला तथा विवादों को सुलझाने में कूटनीति की प्राथमिकता पर बल दिया।
जनरल नरवणे ने ऑपरेशन सिंदूर और पाकिस्तान तथा पाक अधिकृत कश्मीर में आतंकी बुनियादी ढांचे पर हमलों सहित हाल की घटनाओं का उल्लेख किया, जिसके परिणामस्वरूप अंततः सैन्य हमले समाप्त हो गए। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह औपचारिक युद्धविराम नहीं बल्कि ऑपरेशनों का निलंबन है। उन्होंने जनता से घटनाक्रम पर कड़ी नजर रखने की अपील की।
उन्होंने स्वीकार किया कि लोग इस बात से निराश हैं कि युद्ध जारी नहीं रह रहा है, लेकिन उन्होंने हिंसा का महिमामंडन करने के खिलाफ चेतावनी दी। नरवणे ने कहा कि युद्ध एक गंभीर मामला है, जो मानसिक पीड़ा, निर्दोष लोगों की मौत का कारण बनता है और परिवारों पर दीर्घकालिक प्रभाव डालता है। उन्होंने कहा कि इस तरह का विनाश सीमाओं और पीढ़ियों को पार कर जाता है।
नरवणे ने सर्जिकल स्ट्राइक का बचाव करते हुए कहा कि यह एक रणनीतिक कदम है, जिससे पाकिस्तान को उकसावे की भारी कीमत का एहसास हुआ और उसे बातचीत के लिए तैयार होना पड़ा। हालांकि, नरवणे ने कहा कि हिंसा हमेशा अंतिम उपाय होना चाहिए और विवादों को बातचीत के जरिए सुलझाया जाना चाहिए, चाहे वह व्यक्तिगत हो या राष्ट्रीय।
राष्ट्रीय सुरक्षा व्यय के संबंध में, उन्होंने रक्षा के लिए 15 प्रतिशत बजट आवंटन को उचित ठहराया तथा इसकी तुलना राष्ट्रीय तैयारियों के लिए आवश्यक बीमा प्रीमियम से की। नरवणे ने कहा कि सक्षम सेना युद्ध शुरू होने से पहले ही उसे रोक देती है और युद्ध के बजाय ताकत और तैयारी के जरिए राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करती है।
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