नई दिल्ली। रोहिंग्या शरणार्थियों के निर्वासन से जुड़े मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी टिप्पणी की है। अदालत ने साफ कहा है कि अगर वो विदेशी हैं, तो उन्हें निर्वासित किया जाना चाहिए। जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की बेंच ने शीर्ष अदालत के पिछले आदेश का हवाला देते हुए कहा कि शरणार्थियों के मुद्दे पर किसी और अंतरिम निर्देश की आवश्यकता नहीं है। मामले की अगली सुनवाई अब 14 मई को होगी।
बार एंड बेंच के अनुसार, रोहिंग्या शरणार्थियों की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंजाल्विस और अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने न्यायालय को बताया कि कल रात, कुछ शरणार्थियों जिनके पास यूएनएचसीआर कार्ड थे, उन्हें पुलिस ने पकड़कर निर्वासित कर दिया जबकि आज सुप्रीम कोर्ट में मामला सूचीबद्ध था। वकील ने कहा, निर्वासित किए गए लोग बच्चों और परिवार के साथ थे। यह चौंकाने वाला है। गोंजाल्विस ने यह भी कहा कि रोहिंग्या शरणार्थियों को शीर्ष अदालत ने 10 साल से संरक्षण दिया है, लेकिन उनके खिलाफ निर्वासन की कार्रवाई कोर्ट में सुनवाई से कुछ घंटे पहले की गई। वहीं वकील प्रशांत भूषण ने पीठ को बताया कि म्यांमार भारत से निर्वासित किए गए रोहिंग्य शरणार्थियों को स्वीकार नहीं कर रहा है, क्योंकि वे राज्यविहीन नागरिक हैं।
वहीं सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि भारत शरणार्थी सम्मेलन का पक्षकार नहीं है। इसके साथ ही उन्होंने शरणार्थियों के यूएनएचसीआर कार्ड पर भी प्रश्न चिन्ह लगाया। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र उच्चायुक्त (यूएनएचसीआर) द्वारा जारी किए गए पहचान पत्र उनके लिए किसी भी तरह से मददगार नहीं हो सकते हैं। इस पर कोर्ट ने कहा कि अप्रैल 2021 के अपने पहले के आदेश को देखते हुए, किसी और अंतरिम निर्देश की आवश्यकता नहीं है। बता दें कि अप्रैल 2021 में शीर्ष अदालत ने जम्मू और कश्मीर में रहने वाले रोहिंग्या शरणार्थियों के निर्वासन के खिलाफ कोई राहत नहीं दी थी।
The post appeared first on .
You may also like
शॉन डिडी कॉम्ब्स का स*x ट्रैफिकिंग केस: आठ अंकों में खर्च करने की उम्मीद
गोकशी के आरोपितों के साथ पुलिस की मुठभेड़, तीन गिरफ्तार
भारत ने कहा जम्मू, पठानकोट और उधमपुर पर पाकिस्तानी अटैक नाकाम, पाकिस्तान ने हमले की बात से किया इनकार
नाइजीरिया में आत्मघाती हमले में 27 सैनिकों की मौत, कई घायल
जानिए रिटायर होने के बाद IAS /IPS अफसर को कौन कौन सी सुविधाएं मिलती है ˠ