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छत्तीसगढ़ का अनोखा मंदिर: साल में केवल 12 घंटे खुलता है

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भारत की धार्मिक परंपराओं का अद्भुत उदाहरण

 लाइव हिंदी खबर :-भारत अपनी धार्मिक परंपराओं और मान्यताओं के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है। यहां कई ऐसे मंदिर हैं जो अपनी विशेष मान्यताओं के लिए जाने जाते हैं। न केवल देश के लोग, बल्कि विदेशी भी इन मंदिरों के दर्शन के लिए दूर-दूर से आते हैं। आज हम जिस मंदिर की चर्चा कर रहे हैं, वह साल में केवल 12 घंटे खुलता है और यहां दर्शन के लिए भारी भीड़ जुटती है। आइए जानते हैं इस मंदिर का स्थान और इसकी मान्यता के बारे में।


माता लिंगेश्वरी का मंदिर: छत्तीसगढ़ में एक अद्वितीय स्थल

यह मंदिर छत्तीसगढ़ के कोंडागांव जिले में स्थित है और इसकी मान्यता स्थानीय लोगों के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है, जबकि बाहरी लोग इसके बारे में कम जानते हैं। मान्यता है कि यहां मांगी गई सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। इस मंदिर में चढ़ाए जाने वाले प्रसाद की भी अपनी एक विशेषता है।


साल में केवल 12 घंटे खुलता है यह मंदिर

यह मंदिर नक्सल प्रभावित क्षेत्र में स्थित है, जिसके कारण सुरक्षा कारणों से यहां लोगों का आना मना है। मंदिर के पास एक हरा-भरा जंगल है और इसके बीच में अलोर नामक एक छोटा सा गांव है, जहां यह मंदिर एक पहाड़ी पर स्थित है।


मंदिर में प्रवेश के लिए पत्थर हटाना होता है

इस मंदिर में प्रवेश करने के लिए एक पहाड़ी पर रखे पत्थर को हटाना पड़ता है। यहां भगवान शिव और पार्वती का समन्वित रूप है, जिसके कारण इसे लिंगेश्वरी कहा जाता है।


खीरा चढ़ाने से होती है इच्छाओं की पूर्ति

यहां मान्यता है कि खीरा चढ़ाने से मन की इच्छाएं पूरी होती हैं। इसलिए, मंदिर के बाहर खीरे की भरपूर मात्रा में बिक्री होती है। लोग खीरा चढ़ाने के साथ-साथ इसे प्रसाद के रूप में अपने घर भी ले जाते हैं।

इस मंदिर की मान्यता यह भी है कि यदि विवाहित जोड़ा यहां आकर खीरा चढ़ाता है, तो उन्हें संतान की प्राप्ति होती है। जब मंदिर के कपाट खुलते हैं, तो इसकी सूचना पहले से दी जाती है और इस दिन पुलिस और प्रशासन की सुरक्षा में लोग दर्शन करते हैं।


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