Shani Jayanti 2025: ज्योतिष शास्त्र में शनिदेव को कर्म, अनुशासन और न्याय का प्रतीक माना जाता है। जब शनिदेव की स्थिति अशुभ होती है या साढ़ेसाती और ढैय्या का प्रभाव होता है, तो व्यक्ति को आर्थिक समस्याएं, मानसिक तनाव, स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां, और करियर में रुकावटों का सामना करना पड़ सकता है। शनि जयंती की रात, अमावस्या की ऊर्जा और शनिदेव की शक्ति का संयोग विशेष रूप से प्रभावशाली होता है।
गुप्त उपायों का महत्व
इस रात किए गए गुप्त उपाय शनिदेव की कृपा प्राप्त करने और नकारात्मक प्रभावों को दूर करने के लिए अत्यंत प्रभावी माने जाते हैं। इन उपायों को गोपनीयता से करने से उनकी प्रभावशीलता और बढ़ जाती है, क्योंकि शास्त्रों के अनुसार गुप्त उपायों का प्रभाव तभी पूर्ण होता है जब वे छिपे रहें।
काले तिल और शहद के साथ शनि यंत्र पूजा काले तिल और शहद के साथ शनि यंत्र पूजा
नारद पुराण में काले तिल और शहद को शनिदेव की पूजा में महत्वपूर्ण सामग्री माना गया है, जो उनकी कृपा को आकर्षित करती है। शनि जयंती की रात 9 बजे के बाद एक शनि यंत्र लें और उस पर गंगाजल छिड़कें। फिर एक छोटे कटोरे में काले तिल और एक चम्मच शहद मिलाकर पेस्ट बनाएं। इस पेस्ट को यंत्र पर हल्का सा लगाएं और यंत्र के सामने सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
इसके बाद 'ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः' मंत्र का 23 बार जाप करें। पूजा के बाद यंत्र को काले कपड़े में लपेटकर पूजा स्थल में किसी गुप्त स्थान पर रखें, ताकि कोई अन्य व्यक्ति इसे न देख सके। यह उपाय शनि की साढ़ेसाती के प्रभाव को कम करता है और आर्थिक स्थिरता लाता है। इसे अकेले करें और इसके बारे में किसी से चर्चा न करें।
सात मुखी रुद्राक्ष का उपाय सात मुखी रुद्राक्ष का उपाय
स्कंद पुराण में सात मुखी रुद्राक्ष को शनिदेव और शिव की कृपा प्राप्त करने का साधन बताया गया है, जो शनि के दोषों को कम करता है। शनि जयंती की रात एक सात मुखी रुद्राक्ष लें और इसे शनि मंदिर में शनिदेव के सामने रखकर 'ॐ शं शनैश्चराय नमः' मंत्र का 108 बार जाप करें। जाप के बाद रुद्राक्ष को नीले धागे में पिरोकर ताबीज बनाएं और रात को सोने से पहले इसे अपनी दाहिनी भुजा पर बांध लें। यह ताबीज शनि के नकारात्मक प्रभावों से रक्षा करता है और मानसिक शांति प्रदान करता है। ताबीज को कपड़ों के नीचे छिपाकर रखें और इसके बारे में किसी को न बताएं।
शमी वृक्ष की जड़ करें जल में प्रवाहित शमी वृक्ष की जड़ करें जल में प्रवाहित
बृहत् पराशर होरा शास्त्र में शमी वृक्ष को शनिदेव की ऊर्जा को संतुलित करने वाला बताया गया है, जो मानसिक शांति प्रदान करता है। शनि जयंती की रात 10 बजे के बाद शमी वृक्ष की छोटी सी जड़ लें और इसे गंगाजल से धोकर शुद्ध करें। इसे एक काले कपड़े में बांधकर अपने तकिए के नीचे रखें और सोने से पहले शनि चालीसा का पाठ करें।
सुबह सूर्योदय से पहले इस जड़ को किसी नदी या बहते जल में प्रवाहित करें। यह उपाय शनि के कारण होने वाली मानसिक अशांति और बुरे सपनों को दूर करता है। इसे रात में अकेले करें और जड़ को प्रवाहित करने के बाद इसकी चर्चा किसी से न करें।
काले घोड़े की नाल का रक्षा कवच काले घोड़े की नाल का रक्षा कवच
ज्योतिषीय ग्रंथों में काले घोड़े की नाल को शनि की नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने का शक्तिशाली साधन माना गया है। शनि जयंती की रात एक काले घोड़े की नाल लें और इसे शनि मंदिर में शनिदेव के सामने रखकर 'ॐ नीलांजन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्' मंत्र का 11 बार जाप करें।
इसके बाद, नाल को काले कपड़े में लपेटकर अपने घर के मुख्य द्वार के ऊपर गुप्त रूप से टांग दें, जहां यह आसानी से दिखाई न दे। यह उपाय घर में नकारात्मक ऊर्जा के प्रवेश को रोकता है और शनिदेव की कृपा दिलाता है। नाल को टांगते समय कोई अन्य व्यक्ति मौजूद न हो।
काला नमक और तेल से अभिषेक काला नमक और तेल से अभिषेक
नारद पुराण में शनिदेव के अभिषेक को उनकी कृपा प्राप्त करने का एक गुप्त उपाय बताया गया है, जो आर्थिक और पारिवारिक समस्याओं को कम करता है। शनि जयंती की रात एक छोटे लोटे में सरसों का तेल लें और उसमें एक चुटकी काला नमक मिलाएं।
किसी शनि मंदिर में जाएं और इस तेल से शनिदेव की मूर्ति का अभिषेक करें, साथ ही 'ॐ शनिदेवाय नमः' मंत्र का 21 बार जाप करें। अभिषेक को इस तरह करें कि अन्य लोग न देखें। यह उपाय शनि के कारण होने वाली आर्थिक और पारिवारिक समस्याओं को कम करता है। अभिषेक के बाद मंदिर से चुपचाप लौट आएं।
महत्वपूर्ण नोट
डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है।
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