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भारत में सोशल मीडिया कंटेंट क्रिएटर्स और इन्फ्लुएंसर्स की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। आयकर विभाग के अनुसार, पिछले दो सालों में 20 लाख रुपये से ज़्यादा सालाना कमाने वाले सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स की संख्या में काफ़ी बढ़ोतरी हुई है। कुछ इन्फ्लुएंसर्स की सालाना कमाई 2 से 5 करोड़ रुपये तक है। सोशल मीडिया पर इतनी कमाई करने वालों को कितना टैक्स देना पड़ता है? उन्हें कौन सा आईटीआर फॉर्म भरना होगा? कई लोगों के मन में ये सवाल आते हैं।
टैक्स के नियम बदले
आयकर विभाग ने आईटीआर-3 और आईटीआर-4 फॉर्म में बड़ा बदलाव किया है। इनमें पाँच पेशेवर श्रेणियां जोड़ी गई हैं। इनमें यूट्यूब और अन्य सोशल मीडिया से होने वाली आय, सट्टा कारोबार, कमीशन एजेंट और वायदा एवं विकल्प व्यापारी शामिल हैं। वहीं, अब तक सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स या शेयर बाज़ार के पेशेवर अपना आयकर रिटर्न दाखिल करने के लिए दूसरी श्रेणियां चुनते थे। इससे करदाता किस पेशे में कारोबार कर रहा है, इसकी पहचान करना मुश्किल हो जाता था। अब उन्हें एक खास कोड दिया गया है। इससे उनकी तुरंत पहचान हो सकेगी।
आयकर विभाग ने यूट्यूब और अन्य सोशल मीडिया से कमाई करने वालों को 16021 कोड दिया है। यह कोड उन लोगों को दिया गया है जो प्रचार, डिजिटल सामग्री या विज्ञापनों से कमाई करते हैं। इसे ITR-3 और ITR-4 दोनों फॉर्म में शामिल किया गया है। सोशल मीडिया से कमाई करने वालों को अपनी आय और अनुमानित कर के आधार पर ITR 3 या ITR 4 भरना होगा।
यदि कोई प्रभावशाली व्यक्ति अनुमानित कराधान के तहत धारा 44ADA का विकल्प चुनता है, तो उसे ITR-4 भरना होगा। वहीं, शेयर बाजार से कमाई करने वाले फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस (F&O) श्रेणी के व्यापारियों को एक नया कोड 21010 दिया गया है। यह कोड उनके ट्रेडों से होने वाली आय की सटीक जानकारी सुनिश्चित करेगा। व्यापारियों को ITR-3 भरकर अपनी आय और घाटे की पूरी जानकारी देनी होगी।
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