रसूलाबाद की पीड़िता की गुहार – “बेटा-बहू जान से मार देंगे, इंसाफ चाहिए”
कानपुर देहात, उत्तर प्रदेश – समाज को झकझोर देने वाला एक मार्मिक मामला रसूलाबाद क्षेत्र से सामने आया है, जहां एक बुज़ुर्ग महिला अपनी ही संतान की लालच भरी मानसिकता की शिकार बन गई। 65 वर्षीय मालती देवी, जो कि ग्राम अकौड़िया की रहने वाली हैं, आज फुटपाथ पर रहने को मजबूर हैं। उनका कसूर बस इतना है कि उनके पास ज़मीन और पुश्तैनी घर है – जिसे उनका बेटा और बहू जबरन हथियाना चाहते हैं।
मालती देवी ने आंखों में आंसू लिए अपना दर्द बयां किया, “पति की मौत के बाद मेरा जीवन नर्क बन गया। बेटा-बहू मुझे मानसिक रूप से प्रताड़ित करते हैं, मारते-पीटते हैं, यहां तक कि मुझे पागल घोषित करवाने की कोशिश कर रहे हैं।”
पति की मौत के बाद बदली जिंदगीमालती देवी के अनुसार, उनके पति की मृत्यु वर्ष 2020 में हुई थी। तभी से बेटा अजय और बहू रजनी ने उनके खिलाफ अत्याचार शुरू कर दिया। शुरुआत में बात-बात पर अपमान और गाली-गलौज होती थी, लेकिन कुछ ही महीनों में उन्होंने हिंसा का रास्ता अपना लिया। एक दिन घर में बुरी तरह पीटने के बाद उन्हें बाहर निकाल दिया गया।
जान से मारने की धमकियांपीड़िता का कहना है कि उनका बेटा उन्हें कई बार जान से मारने की धमकी दे चुका है। “मैं डर के मारे सो नहीं पाती। अगर कल मेरी लाश मिले तो जिम्मेदार मेरे बेटे और बहू होंगे,” उन्होंने कहा। इतना ही नहीं, उन्होंने आरोप लगाया कि अजय और रजनी ने इलाके के कुछ दबंगों से भी सांठगांठ कर ली है, ताकि ज़मीन और मकान पर कब्जा किया जा सके।
इंसाफ की लगाई गुहारमालती देवी अब थाने, तहसील और जिला कार्यालयों के चक्कर लगा रही हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, जिलाधिकारी कानपुर देहात और राज्य महिला आयोग को पत्र लिखकर न्याय की मांग की है। उनका सीधा आग्रह है कि उन्हें उनका घर वापस दिलाया जाए और बेटा-बहू के खिलाफ उचित कार्रवाई हो।
समाज में गिरती संवेदनाएंइस घटना ने एक बार फिर समाज की गिरती संवेदनशीलता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। जहां एक ओर सरकार बुज़ुर्गों के लिए पेंशन योजनाएं, विधवा सहायता और सुरक्षा के दावे करती है, वहीं ज़मीनी हकीकत ऐसी घटनाओं से उजागर होती है। रसूलाबाद के स्थानीय लोगों का कहना है कि यह कलयुग का जीवंत उदाहरण है – जहां बेटा और बहू मिलकर मां को बेघर कर देते हैं।
फुटपाथ बना ठिकानाअपना घर और ज़मीन होते हुए भी मालती देवी आज फुटपाथ पर जीवन बिता रही हैं। उन्होंने बताया कि मजदूरी करके पेट भरने का प्रयास करती हैं, लेकिन उम्र के इस पड़ाव पर काम मिलना भी एक चुनौती है। “जिस बेटे को अपनी कोख से जन्म दिया, वही आज मेरी मौत की वजह बनना चाहता है,” उन्होंने रोते हुए कहा।
मालती देवी की कहानी सिर्फ एक महिला की नहीं, बल्कि उन तमाम बुज़ुर्गों की पीड़ा है जो अपने ही बच्चों के हाथों सताए जा रहे हैं। यह घटना ना केवल कानूनी हस्तक्षेप की मांग करती है, बल्कि समाज को आत्ममंथन करने की जरूरत भी जताती है।
सरकार और संबंधित विभागों को चाहिए कि ऐसे मामलों में त्वरित कार्रवाई करें, ताकि आने वाले समय में कोई और मां इस तरह की पीड़ा न झेले।
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