त्योहारी सीज़न से पहले उपभोक्ताओं के लिए अच्छी खबर है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने स्पष्ट कर दिया है कि कंपनियों को जीएसटी दरों में कटौती का पूरा लाभ ग्राहकों तक पहुँचाना होगा। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार अमेरिकी टैरिफ से प्रभावित निर्यातकों को राहत देने के लिए एक पैकेज पर भी काम कर रही है।
सीतारमण ने कहा कि जीएसटी सुधार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर लागू किए गए हैं और इनका उद्देश्य आम आदमी, किसानों और छोटे व्यापारियों को लाभ पहुँचाना है। उन्होंने कहा कि कई कंपनियों ने पहले ही कीमतों में कटौती की घोषणा कर दी है। सरकार भी कीमतों पर नज़र रख रही है और सांसदों को भी अपने क्षेत्रों में कीमतों पर नज़र रखने के लिए कहा गया है।
नई दरें कब लागू होंगी?नई दरें 22 सितंबर से लागू होंगी। इसी दिन से नवरात्रि की शुरुआत होती है, जब देश भर में त्योहारों की खरीदारी ज़ोर पकड़ लेती है। वित्त मंत्री को उम्मीद है कि 375 वस्तुओं पर कर कटौती से खपत और अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा।
सीतारमण ने आश्वासन दिया कि कर दरों में बार-बार बदलाव नहीं किया जाएगा। हालाँकि, कुछ विपक्षी शासित राज्यों ने जीएसटी परिषद की बैठक में राजस्व हानि की आशंका व्यक्त की। इस पर वित्त मंत्री ने कहा कि नुकसान सिर्फ़ राज्यों को ही नहीं, बल्कि केंद्र को भी है। लेकिन जब पैसा लोगों की जेब में जाएगा, तो सरकार सिर्फ़ अपनी कमाई की चिंता नहीं कर सकती।
उपभोक्ताओं को होगी बचतसीतारमण ने कहा कि इस बार ज़्यादातर वस्तुएँ निचले कर दायरे में हैं और अब केवल 13 वस्तुएँ ही 'विलासिता और पाप वस्तुओं' की श्रेणी में रह गई हैं। इससे कर ढाँचा सरल होगा और उपभोक्ताओं को बचत होगी।
केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) के अध्यक्ष संजय कुमार अग्रवाल ने कहा कि कंपनियों को अपने बिलिंग सिस्टम को तुरंत अपडेट करना होगा, ताकि 22 सितंबर से नई दरें लागू की जा सकें। उन्होंने साफ़ तौर पर कहा कि कंपनियों को मुनाफ़ा अपने पास नहीं रखना चाहिए, बल्कि उसे ग्राहकों तक पहुँचाना चाहिए।
सरकार कार्रवाई कर सकती हैअगर कोई क्षेत्र नियमों का पालन नहीं करता है, तो सरकार संबंधित उद्योग निकायों के साथ विचार-विमर्श करके कार्रवाई करेगी। ख़ास तौर पर बीमा और ऑटो क्षेत्र के संबंध में, यह स्पष्ट किया गया है कि उन्हें मिली बड़ी राहत का पूरा लाभ ग्राहकों को देना होगा। साथ ही, सिगरेट, पान मसाला और तंबाकू जैसी 'पाप वस्तुओं' पर कर का बोझ कम नहीं होने वाला है।
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