दुनिया में कई देश आर्थिक संकटों से गुजरते हैं, लेकिन दक्षिण अमेरिकी देश वेनेजुएला की स्थिति इतनी बदतर हो चुकी है कि अब वहां के लोग नोटों को कूड़े में फेंक रहे हैं। ये वही नोट हैं जिनकी कभी कीमत हुआ करती थी, लेकिन अब महंगाई ने इनकी वैल्यू को खत्म कर दिया है।
नोटों की कोई कीमत नहीं रहीवेनेजुएला में हाइपर इन्फ्लेशन यानी बेकाबू महंगाई के चलते बोलिवर, जो कि देश की आधिकारिक मुद्रा है, लगभग बेकार हो गई है। यहां लोग बोरियों में भरकर नोट लेकर जाते हैं और बदले में सिर्फ कुछ किलो सामान ला पाते हैं।
स्थिति इतनी भयावह है कि सरकार को नोटों से 5 शून्य हटाने का फैसला लेना पड़ा है। यानी अब जो नोट 5 लाख बोलिवर का था, उसकी नई वैल्यू सिर्फ 5 बोलिवर रह गई है।
कूड़े में पड़े मिल रहे हैं नोटसरकार के इस फैसले के बाद वेनेजुएला में नोटों की कीमत इतनी गिर गई है कि लोग उन्हें सड़कों, नालियों और कूड़ेदानों में फेंक रहे हैं। बैंक बंद कर दिए गए ताकि नई करंसी जारी की जा सके। लेकिन जनता को इन बदलावों से कोई राहत नहीं मिली।
जहां पहले लोग नोट जमा करने के लिए लाइन में खड़े रहते थे, आज वही लोग इन नोटों को रद्दी समझकर फेंक रहे हैं। सोशल मीडिया पर ऐसे कई वीडियो सामने आ चुके हैं, जिनमें लोग नोटों को जलाते, फाड़ते या फेंकते नजर आते हैं।
महंगाई के आंकड़े करेंगे हैरानवेनेजुएला की महंगाई दर 10 लाख फीसदी तक पहुंच गई है। यह दुनिया के इतिहास में दर्ज सबसे खतरनाक आर्थिक स्थितियों में से एक है।
अगर कीमतों की बात करें तो यहां:
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2.4 किलो चिकन की कीमत 1.46 करोड़ बोलिवर है, जो कि डॉलर में सिर्फ 2.22 USD के बराबर है।
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एक टॉयलेट पेपर रोल के लिए 26 लाख बोलिवर खर्च करने पड़ते हैं।
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8-10 गाजर का एक छोटा बंडल 30 लाख बोलिवर में मिलता है।
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एक किलो चावल – 25 लाख बोलिवर।
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एक पैकेट सैनेटरी पैड – 35 लाख बोलिवर।
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एक किलो मीट – 9.5 लाख बोलिवर।
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एक किलो टमाटर – 50 लाख बोलिवर।
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एक किलो पनीर – 75 लाख बोलिवर।
यह आंकड़े दर्शाते हैं कि बोलिवर नाम की करंसी आज केवल एक कागज़ का टुकड़ा बनकर रह गई है।
मादुरो सरकार के फैसलों की आलोचनाराष्ट्रपति निकोलस मादुरो की नीतियों को इसके लिए जिम्मेदार माना जा रहा है। वर्ष 2016 में उन्होंने नोटबंदी का ऐलान किया था, लेकिन मूल समस्याओं पर ध्यान नहीं देने की वजह से स्थिति और बिगड़ गई।
अब सरकार पेट्रोलियम उत्पादों के दाम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तय करने की बात कर रही है। अभी तक वेनेजुएला में पेट्रोलियम लगभग मुफ्त में मिलता रहा है, जिससे तस्करी बढ़ी। लेकिन जानकार मानते हैं कि इससे गरीबों की हालत और खराब होगी।
लोग छोड़ रहे हैं देशबुनियादी सुविधाएं जैसे पानी, बिजली और दवाएं तक लोगों को नहीं मिल पा रही हैं। लाखों लोग भुखमरी और बेरोजगारी से त्रस्त होकर पलायन कर रहे हैं। वे ब्राजील, कोलंबिया और पेरू जैसे पड़ोसी देशों का रुख कर रहे हैं।
वर्तमान में, वेनेजुएला की करीब 90% आबादी गरीबी रेखा से नीचे जी रही है। हालात ये हो गए हैं कि एक साधारण परिवार का पेट भरना भी चुनौती बन गया है।
निष्कर्षवेनेजुएला आज दुनिया के सबसे बड़े आर्थिक संकटों में से एक का उदाहरण बन गया है। जहां एक समय देश तेल संपदा के कारण समृद्ध था, वहीं आज वहां के लोग पैसों को कूड़े में फेंक रहे हैं।
यह कहानी हमें सिखाती है कि अगर किसी देश की अर्थव्यवस्था की जड़ें कमजोर हो जाएं, तो महंगाई उसे घुटनों पर ला सकती है। बोलिवर अब केवल एक इतिहास बनता जा रहा है – एक ऐसी करंसी जो कभी थी, लेकिन अब रद्दी के भाव में भी नहीं बिकती।
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