बढ़ते तापमान को देखते हुए पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग, बिहार ने मई माह के लिए मत्स्य पालकों के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए हैं। विशेषज्ञों के अनुसार मई माह में तापमान और आर्द्रता में वृद्धि के कारण मछलियों के स्वास्थ्य और तालाब प्रबंधन पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। विभाग ने अपने दिशा-निर्देशों में सलाह दी है कि इस माह मछलियों के स्वास्थ्य और विकास के लिए संतुलित आहार देना जरूरी है। खास तौर पर पूरक आहार सही मात्रा, गुणवत्ता और समय पर दें। मछली का वजन 1-1.5 किलोग्राम होने पर उसे बिक्री के लिए पकड़ें। पकड़ से एक दिन पहले उसे खिलाना बंद कर दें, ताकि पाचन तंत्र साफ रहे। इस माह तालाब के पानी में ऑक्सीजन का स्तर बनाए रखना विशेष रूप से जरूरी है। इसलिए गोबर और चूना एक साथ न डालें, क्योंकि इससे पानी की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है। अत्यधिक गर्मी और बारिश से ऑक्सीजन की कमी हो सकती है। इससे बचने के लिए आवश्यकतानुसार एसएसपी या डीएपी का छिड़काव करें या एरेटर का उपयोग करें। पानी हरा हो जाए तो चूना और रसायन का प्रयोग बंद कर दें। मई माह मत्स्य बीज उत्पादकों के लिए सिल्वर कार्प का प्रजनन शुरू करने का सही समय है। इसके लिए सबसे पहले नर्सरी तालाब को सुखाकर उसमें गोबर (1000-2000 किग्रा/एकड़) और चूना (50 किग्रा/एकड़) डालें, फिर उसमें पानी भरकर 20 लाख स्पॉन प्रति एकड़ की दर से स्टॉक करें। ध्यान रहे कि मछली के बीज को हमेशा ठंडे वातावरण में ले जाना चाहिए। तालाब में मछली के बीज (फिंगरलिंग/ईयरलिंग) डालने का सही समय सुबह 8 बजे से दोपहर 12 बजे के बीच है, क्योंकि इस समय तापमान अनुकूल होता है। मई में अचानक बारिश होने से तालाब के पानी पर असर पड़ सकता है। इसके लिए बारिश के बाद तालाब में प्रति एकड़ 15-20 किग्रा चूना डालें, ताकि पानी का पीएच संतुलित रहे। अगर भारी बारिश हो तो तालाब के आसपास उचित जल निकासी की व्यवस्था करें। पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग के अनुसार, मछली पालकों को मई में तालाब प्रबंधन, चारा नियंत्रण और मछली बीज उत्पादन पर विशेष ध्यान देना चाहिए। उचित देखभाल और वैज्ञानिक तकनीक अपनाकर मछली उत्पादन बढ़ाया जा सकता है और आर्थिक लाभ प्राप्त किया जा सकता है।
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