अयोध्या, जो सनातन श्रद्धा और मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की नगरी के रूप में जानी जाती है, इन दिनों एक बार फिर इतिहास रच रही है। भव्य राम मंदिर में मंगलवार से त्रिदिवसीय प्राण प्रतिष्ठा समारोह का शुभारंभ हुआ है। यह अनुष्ठान न केवल धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है, बल्कि देश-विदेश से जुड़े करोड़ों रामभक्तों की आस्था का प्रतीक भी बन चुका है।
पहले दिन का शुभारंभ पंचांग पूजन सेमंगलवार, 4 जून की सुबह राम मंदिर परिसर में यज्ञमंडप के बाहर विधिवत पंचांग पूजन के साथ प्राण प्रतिष्ठा समारोह आरंभ हुआ। यह अनुष्ठान प्रातः 6:30 बजे से शुरू हुआ और करीब दो घंटे चला। वैदिक आचार्यों और ऋत्विजों के सान्निध्य में हुए इस पूजन में पंचांग के आधार पर मुहूर्त तय किया गया। इसके बाद सुबह 9 बजे मुख्य यज्ञशाला में प्रवेश हुआ, जहां दिगबन्धन, वास्तु पूजन, मंडप पूजन, प्रधान पूजन, अग्नि स्थापना और ग्रह स्थापन जैसी धार्मिक विधियां सम्पन्न की गईं।
यज्ञकुंडों से गूंज उठा मंदिर परिसरराम मंदिर के विशेष परकोटे में बनाए गए यज्ञशाला में कुल 9 यज्ञकुंड स्थापित किए गए हैं। यहां पर वैदिक मंत्रों की ध्वनि, हवन की सुगंध और श्रद्धा की ऊर्जा ने माहौल को पूर्णतः आध्यात्मिक बना दिया। इस महायज्ञ के लिए देशभर से आए 16 विशिष्ट ऋत्विजों को नियुक्त किया गया है जो निरंतर मंत्रोच्चार और पूजन कार्यों में लगे हुए हैं।
दोपहर में हुआ योगिनी और क्षेत्रपाल पूजनमंगलवार दोपहर 2 बजे से योगिनी पूजन, क्षेत्रपाल पूजन, ग्रह यज्ञ, आह्वानित देवताओं का हवन, कर्मकुटी पूजन और जलाधिवास अनुष्ठान सम्पन्न किए गए। यह अनुष्ठान इस बात का प्रतीक हैं कि राम दरबार की प्रतिमाओं को सांसारिक और आध्यात्मिक दोनों स्तरों पर देवत्व प्रदान किया जा रहा है।
बुधवार को होंगी महत्वपूर्ण धार्मिक क्रियाएं5 जून से पहले, बुधवार 4 जून को कई महत्त्वपूर्ण धार्मिक विधियां पूरी की जाएंगी। इनमें शामिल हैं:
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देवताओं का विशेष पूजन
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अन्नाधिवास (जिसमें प्रतिमाओं को अन्न में स्थापित कर ऊर्जा संचारित किया जाता है)
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हवन और देव स्नान
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शिखर स्नान व प्रसाद स्नान
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नगर भ्रमण (मूर्ति यात्रा)
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शैय्याधिवास और न्यास अनुष्ठान
इन सभी विधियों का उद्देश्य मंदिर में स्थापित हो रही प्रतिमाओं में प्राणों का संचार कर उन्हें देवस्वरूप बनाना है।
मुख्य आयोजन 5 जून को5 जून को होगा वह ऐतिहासिक दिन जब भगवान श्रीराम, माता सीता, लक्ष्मण और हनुमान जी की प्रतिमाओं की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। यह अनुष्ठान वैदिक विधि-विधान से पूर्ण होगा जिसमें विशेष आरती, श्रृंगार, भोग, पुष्पांजलि और महास्नान जैसे अनुष्ठान शामिल हैं। मंदिर के स्वर्ण शिखर, विशाल स्तंभ, व पवित्र गर्भगृह में होने वाला यह आयोजन युगों तक श्रद्धा का केंद्र बना रहेगा।
21 उप-मंदिरों में मूर्तियों की स्थापना पूर्णराम मंदिर के परकोटे में बनाए गए 21 छोटे मंदिरों में देवी-देवताओं की मूर्तियां पहले ही स्थापित की जा चुकी हैं। इन मंदिरों में गणेश, शिव, सूर्य, नवग्रह, दुर्गा आदि की प्रतिमाएं शामिल हैं। यह सभी मूर्तियां विशेष पूजन के बाद प्रतिष्ठित की गई हैं, ताकि राम दरबार की स्थापना पूर्ण देविक परिवेश में हो सके।
आम श्रद्धालुओं को नहीं मिला प्रवेशयह आयोजन पूरी तरह निजी (Private) रखा गया है। आम श्रद्धालुओं और मीडिया को इस त्रिदिवसीय अनुष्ठान में शामिल होने की अनुमति नहीं दी गई है। इसकी वजह यह है कि प्राचीन परंपराओं के अनुसार प्राण प्रतिष्ठा जैसे गूढ़ और उच्च वैदिक अनुष्ठानों को सीमित और पवित्र वातावरण में सम्पन्न किया जाता है। हालांकि, आयोजन से जुड़ी वीडियो और तस्वीरें संस्था द्वारा समय-समय पर साझा की जा रही हैं।
योगी आदित्यनाथ भी होंगे शामिल5 जून के मुख्य आयोजन में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के भी शामिल होने की सूचना है। वे राम जन्मभूमि न्यास के प्रमुख साधु-संतों के साथ मिलकर पूजा-अनुष्ठान में भाग लेंगे।
निष्कर्षराम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा का यह त्रिदिवसीय आयोजन भारतीय संस्कृति, आस्था और सनातन परंपरा की जीवंत तस्वीर है। श्रीराम की मूर्तियों में प्राण स्थापना न केवल धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भावनात्मक और सांस्कृतिक रूप से भी भारत के करोड़ों लोगों के लिए अत्यंत पूजनीय है। 5 जून का दिन इस महान अनुष्ठान का साक्षी बनेगा — एक ऐसा दिन जब अयोध्या फिर से प्रभु श्रीराम की नगरी के रूप में नवजीवन पाएगी।