भारत में मंदिर केवल पूजा-अर्चना का स्थान ही नहीं हैं, बल्कि वे आस्था, विश्वास और रहस्यों के केंद्र भी हैं। इन्हीं में से एक है भगवान शिव के नंदी महाराज की परंपरा। आपने अक्सर देखा होगा कि शिव मंदिर में लोग भगवान शिव के सामने बैठे नंदी के कान में अपनी मनोकामना कहते हैं। मान्यता है कि भक्त की कही हुई बात सीधे भगवान भोलेनाथ तक पहुँचती है। सवाल यह उठता है कि क्या सच में नंदी के कान में कही गई बातें महादेव तक पहुँचती हैं? आइए जानते हैं इस आस्था और रहस्य से जुड़े पहलुओं को विस्तार से।
नंदी कौन हैं?नंदी केवल एक बैल नहीं बल्कि भगवान शिव के वाहन और उनके प्रमुख गण माने जाते हैं। नंदी को शिव भक्तों का प्रथम द्वारपाल भी कहा जाता है। पुराणों के अनुसार, नंदी शिवजी के सबसे प्रिय भक्त हैं और कैलाश पर भगवान की सेवा में सदैव तत्पर रहते हैं। नंदी के बिना शिव की आराधना अधूरी मानी जाती है।
नंदी के कान में मनोकामना कहने की परंपराशिव मंदिरों में भक्त नंदी के कान में झुककर अपनी समस्याएँ और मनोकामनाएँ कहते हैं। मान्यता है कि नंदी अपने कानों से वह सब सुनकर तुरंत भगवान शिव तक पहुंचा देते हैं। यही कारण है कि हर शिव मंदिर में नंदी की मूर्ति शिवलिंग की सीध में, आमतौर पर प्रवेश द्वार के सामने स्थापित की जाती है।
धार्मिक मान्यतापुराणों और शिव महापुराण में उल्लेख है कि नंदी महाराज शिव के मुख्य गणों में से एक हैं और भगवान के संदेशवाहक भी। मान्यता है कि भक्त के द्वारा बोली गई बात को नंदी तुरंत शिव तक पहुंचाते हैं। यही वजह है कि शिव भक्त नंदी को अपने मन की बात कहते हैं और विश्वास करते हैं कि भोलेनाथ उसकी सुनकर आशीर्वाद देंगे।
आस्था का वैज्ञानिक पहलूअगर इसे वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो नंदी के कान में बात कहने की परंपरा हमें एकाग्रता और सकारात्मक सोच की ओर प्रेरित करती है। जब कोई व्यक्ति अपनी मनोकामना नंदी के कान में कहता है, तो वह अपने मन की गहराई से अपनी इच्छा को व्यक्त करता है। यह मनोविज्ञान है कि जब हम अपने विचारों को स्पष्ट रूप से व्यक्त करते हैं तो हमारा विश्वास और दृढ़ हो जाता है। यही विश्वास हमें अपने लक्ष्य की ओर और भी मजबूत बनाता है।
क्यों बैठते हैं नंदी हमेशा शिवलिंग की ओर?शिव मंदिरों में नंदी की मूर्ति हमेशा शिवलिंग की सीध में होती है। यह प्रतीक है निष्ठा और भक्ति का। नंदी लगातार भगवान शिव को निहारते हैं और उनकी उपस्थिति का अहसास कराते हैं। भक्तों का मानना है कि नंदी के माध्यम से कही गई हर बात सीधे शिवलिंग तक जाती है।
नंदी और भक्तों का भावनात्मक रिश्ताशिव भक्त मानते हैं कि नंदी न केवल संदेशवाहक हैं बल्कि वे शिव और भक्तों के बीच एक पुल हैं। जैसे एक बच्चा अपने मन की बात अपने प्रिय दोस्त से साझा करता है, वैसे ही भक्त अपनी समस्याएँ नंदी से साझा करता है। नंदी का यह स्वरूप भक्तों को आत्मीयता और स्नेह का एहसास कराता है।
परंपरा का विस्तारभारत के हर शिव मंदिर में नंदी की स्थापना होती है, चाहे वह काशी विश्वनाथ मंदिर हो, कर्नाटक का नंदी हिल्स मंदिर हो या फिर दक्षिण भारत के प्राचीन शिवालय। हर जगह यह परंपरा आज भी उतनी ही आस्था और विश्वास से निभाई जाती है।
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