उमरिया, 20 जून (Udaipur Kiran) ।जिले में प्रशासन की लापरवाही से सरकार के सारे दावे खोखले साबित हो रहे हैं। इसका एक उदाहरण एक बार फिर बड़ा मामला देखने को मिला, जब मजबूर होकर किसान को कलेक्टर के खिलाफ न्यायालय की शरण में जाना पड़ा।
दरअसल, एक तरफ सरकार जनसुनवाई में तुरंत कार्रवाई के संकल्प के साथ कार्य कर रही है तो वहीं सरकार की मंशा पर उमरिया जिला प्रशासन पानी फेरने का काम कर रहा है, सामने आए इस मामले में भी ऐसा ही हुआ है। बांधवगढ़ विधानसभा क्षेत्र के ग्राम पंचायत धनवारक में जहां जल संरक्षण का कार्य किया जा रहा है, उसमें किसानों को फायदा कम और नुकसान अधिक हो रहा है। अमृत सरोवर के तहत 14 लाख रुपये की लागत से छोटे बांध का निर्माण कराया गया, मगर वहां के प्रभावित किसानों की फसल हर साल पानी भरने के कारण सड़ जाती है, जिसको लेकर हजारों बार संबंधित किसान जिम्मेदारों को अवगत करा चुके हैं, लेकिन उस पर कोई कार्यवाही नहीं हुई है।
उल्लेखनीय है कि मप्र में जन सुनवाई में लोगों के मामलों का निदान किया जाता है, मगर उमरिया जिले में शिकायत पर कार्रवाई नहीं होने के कारण अब लोग न्यायालय की शरण में जा रहे हैं। हालांकि इस मामले में पीड़ित किसान मुकुट धारी सिंह राठौर ने जिम्मेदारों पर बड़े आरोप लगाते हुए बताया कि 405/2 खेत ग्राम धनवार में है 1.052 हेक्टेयर इसका एरिया है, इसमें अमृत सरोवर बनाया गया, जोकि गलत ढंग से बना। इसमें पानी बरसने पर जब पानी भरता है तो पूरी फसल नष्ट हो जाती है। मेरे पास खेती के अलावा कोई चारा नहीं है। मैं एक गरीब किसान हूं । अभी दो साल में मेरा पांच लाख रूपये का नुकसान हो गया। अभी जो फसल बोएंगे वह भी सड़ेगी।
किसान का कहना है कि सरपंच सचिव नहीं सुनते हैं, इनके न सुनने की वजह से मैंने कलेक्टर के पास तीन बार जनसुनवाई में आवेदन लगाया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। इसी तरह से जिला पंचायत सीईओ और जनपद सीईओ के यहां भी आवेदन दिया मगर कहीं से कोई सुनवाई नहीं हुई है। तब मैं परेशान हो कोर्ट में आवेदन लगाने पहुंचा हूं। अभी कोर्ट में पूछा जा रहा है कि कितना काम हुआ है, क्या हुआ है और पीसी मिल रही है। यह चौथी पेशी है। मैंने कलेक्टर, सरपंच, सचिव और इंजीनियर को पार्टी बनाया है।
इस सब के बीच जनपद करकेली के उपयंत्री राजेश त्रिपाठी किसान के सभी आरोपों को नकारते हैं, उनका कहना है कि हमसे माननीय न्यायालय में भी जवाब मांगा वो वहां दिया गया है। पानी यदि खेत में भर रहा है तो उसकी निकासी के इंतजाम जो संभव है, वह शासन की ओर से अवश्य किए जाएंगे। पहले भी हर संभव मदद उक्त किसान की शासन की ओर से की गई है, आगे भी होगी ही।
(Udaipur Kiran) / सुरेन्द्र त्रिपाठी