भोपाल, 28 अप्रैल . प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने आबकारी विभाग में फर्जी चालान मामले में सोमवार सुबह मध्य प्रदेश के चार शहरों इंदौर, भोपाल, जबलपुर और मंदसौर में शराब कारोबारियों के ठिकानों पर छापे मारे हैं. सबसे बड़ी कार्रवाई इंदौर में की गई है. यहां अलग-अलग शराब कारोबारियों के 18 ठिकानों पर दबिश दी गई है. यहां ईडी की टीमों ने बसंत विहार कॉलोनी, तुलसी नगर और महालक्ष्मी नगर जैसे इलाकों में कार्रवाई में जुटी है. भोपाल में एक बड़े कारोबारी के यहां सर्चिंग चल रही है. जबलपुर में शराब ठेकेदार जायसवाल और चौकसे ग्रुप के घर और दफ्तर में ईडी की टीम ने दबिश दी है. मंदसौर में भी शराब व्यापारियों के ठिकानों पर जांच की जा रही है. टीम ने मौके से शराब ठेके से जुड़े दस्तावेज, बैंक डिटेल और कम्प्यूटर हार्ड डिस्ट व लैपटाप जब्त किया है. हालांकि, अभी तक इस मामले में ईडी की ओर से अधिकृत तौर पर कुछ नहीं कहा गया है.
सूत्रों के मुताबिक यह कार्रवाई फर्जी बैंक चालान और आबकारी विभाग में हुए घोटाले को लेकर की जा रही है. यह घोटाला सबसे पहले साल 2018 में सामने आया था. आरोप है कि शराब कारोबारियों ने आबकारी विभाग के अफसरों के साथ मिलकर करोड़ों का घोटाला किया. माना जा रहा है कि घोटाले की रकम 100 करोड़ रुपये तक पहुंच सकती है. इंदौर में शराब ठेकेदार अविनाश और विजय श्रीवास्तव, राकेश जायसवाल, योगेंद्र जायसवाल, राहुल चौकसे, सूर्यप्रकाश अरोरा, गोपाल शिवहरे, लवकुश और प्रदीप जायसवाल के ठिकानों पर छापे पड़े हैं. बसंत बिहार कॉलोनी, तुलसी नगर और महालक्ष्मी नगर में ईडी की टीमें पहुंची हैं.
वहीं, जबलपुर में शराब ठेकेदार जायसवाल और चौकसे ग्रुप के घर और दफ्तर पर ईडी की टीम कार्रवाई में जुटी हुई है. बताया जा रहा है कि ईडी के अधिकारी रात में ही जबलपुर पहुंच गए थे और सोमवार सुबह इनके ठिकानों पर कार्रवाई शुरू कर दी थी. मंदसौर शहर में जनता कॉलोनी स्थित शराब कारोबारी स्वर्गीय अनिल त्रिवेदी के छोटे भाई बंटी त्रिवेदी के मकान में ईडी ने छापा मारा. सोमवार को सात सदस्यीय टीम ने सुबह 5 बजे उनके घर पहुंची. सुरक्षा की दृष्टि से बंटी त्रिवेदी के घर के बाहर सीआरपीएफ के जवान तैनात हैं. ईडी की टीम कार्यवाही में जुटी हुई है. वहीं, भोपाल में एक बड़े कारोबारी के यहां सर्चिंग चल रही है.
दरअसल, यह कार्रवाई आबकारी विभाग में हुए घोटाले को लेकर की जा रही है. इंदौर जिला आबकारी कार्यालय में 2015 से 2018 के बीच शराब गोदामों से शराब उठाने के लिए 194 फर्जी चालानों का इस्तेमाल किया गया. बैंक में हजारों रुपयों के छोटे चालान जमा कराए गए, लेकिन चालान में बाद में लाखों की रकम दिखाकर गोदामों से ज्यादा शराब उठा ली गई और दुकानों पर बेची गई. इस घोटाले की शिकायत मिलने के बाद ईडी ने 2024 में जांच शुरू की थी. जांच के लिए ईडी ने आबकारी विभाग और पुलिस से शराब ठेकेदारों के बैंक अकाउंट का ब्यौरा और विभाग की आंतरिक जांच रिपोर्ट और अन्य जरूरी दस्तावेज मांगे थे. आरोप है कि आबकारी विभाग में इसके पहले तीन साल से फर्जी चालान जमा किए जा रहे थे. आबकारी विभाग के अफसरों को हर 15 दिन में चालान को क्रॉस चेक करना (तौजी मिलान) होना था, लेकिन उन्होंने तीन साल तक ऐसा नहीं किया. इसकी वजह से उनकी साठगांठ साफ नजर आ रही थी.
ईडी की जांच में यह सामने आया है कि आरोपित शराब ठेकेदार चालानों में जान बूझकर हेरफेर करते थे. चालान में राशि अंकों में भरी जाती थी. लेकिन शब्दों में राशि के लिए छोड़ी गई जगह को खाली रखा जाता था. बैंक में मूल राशि जमा करने के बाद, ठेकेदार बाद में चालान की कॉपी में उस खाली जगह पर लाखों रुपये जोड़ देते थे. जिस वक्त यह शराब घोटाला हुआ था, उस वक्त जिला आबकारी कार्यालय में जिला आबकारी अधिकारी के पद पर संजीव दुबे नियुक्त थे. यही वजह रही कि आबकारी विभाग के सहायक आयुक्त संजीव कुमार दुबे सहित छह अफसरों को निलंबित कर दिया गया था.
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तोमर
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