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जेपी आंदोलन के दौरान जेल जाने वाले और भूमिगत को भी सरकार दे पेंशन : सुकदेव पासवान

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अररिया 24 जून (Udaipur Kiran) ।

लोकनायक जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में लड़े गए छात्र आंदोलन के सेनानियों को अब तक वह सम्मान नहीं मिला,जो उन्हें मिलना चाहिए। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार छात्र आंदोलन के उपज हैं और उनके नेतृत्व वाली बिहार सरकार जेपी आंदोलनकारियों को समुचित सम्मान दे।आंदोलन के दौरान जेल जाने वाले और भूमिगत रहने वाले आंदोलनकारियों को पेंशन दे। उपरोक्त बातें अररिया से पांच बार लोकसभा में प्रतिनिधित्व करने वाले पूर्व सांसद एवं राजद के राष्ट्रीय महासचिव सुकदेव पासवान ने मंगलवार को आपातकाल के पचासवें वर्षगांठ के मौके से पूर्व एक होटल में प्रेस वार्ता कर कही।

जे.पी.सेवा संस्थान के संस्थापक अध्यक्ष एवं जेपी आंदोलनकारी संगठन के अध्यक्ष सुकदेव पासवान ने कहा कि आपातकाल दुर्भाग्यपूर्ण था और वर्तमान समय में एनडीए के शासनकाल में स्थिति अपरोक्ष रूप से आपातकाल वाली है। उन्होंने कहा कि जेपी के अनुयायियों ने ही जेपी को ठगने का काम किया है।आज बिहार में जेपी को अनुयायी सरकार में हैं,लेकिन बिहार सरकार की ओर से कोई भी सरकारी योजना जेपी के नाम से नहीं चल रही।उन्होंने कहा कि जब वे सांसद थे तो फारबिसगंज में जेपी सेवा संस्थान के नाम से भवन का निर्माण समाजहित में करवाया। साथ ही जोगबनी में भारतनेपाल मुख्य सड़क पर जयप्रकाश नारायण के नाम से जेपी द्वार का निर्माण कार्य कराया।

छात्र आंदोलन के दौरान मीसा के तहत जेल गए सुकदेव पासवान ने कहा कि जिला में छात्र आंदोलन का केंद्र बिंदु फारबिसगंज था। फारबिसगंज के मारवाड़ी धर्मशाला में आंदोलनकारी जमा होते थे और वहां से आंदोलन को लेकर जिला की रणनीति तैयार की जाती थी। इसके बाद उसे अमलीजामा पहनाया जाता था। उन्होंने बताया कि छात्र आंदोलन के दौरान चार प्रमुख मांगे थी जिनमें महंगाई पर रोक, शिक्षा में परिवर्तन, भ्रष्टाचार मिटाओ और जनप्रतिनिधि को वापस बुलाने का संविधान में अधिकार। उन्होंने बताया कि केंद्र में इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री और बिहार में अब्दुल गफूर मुख्यमंत्री थे। 5 जून 1974 को गांधी मैदान में छात्र रैली थी। जिसमें लाठी चार्ज और गोली चार्ज जैसी घटनाएं घटित हुई थी। जिसमें जयप्रकाश नारायण को बचाने के क्रम में साहित्यकार फणीश्वर नाथ रेणु घायल हो गए थे और पुलिस की दमनात्मक कार्रवाई एवं लाठी चार्ज के खिलाफ मिला पद्म श्री अवार्ड को रेणुजी ने पापश्री का अवार्ड कह कर वापस कर दिया था।

(Udaipur Kiran) / राहुल कुमार ठाकुर

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