भोपाल, 24 मई . एक ओर जहां देश में तय समय से आठ दिन पहले मानसून के प्रवेश की सूचना है, वहीं रविवार, 25 मई से आरंभ हो रहे नौतपा की चर्चा भी सोशल मीडिया पर जोर-शोर से हो रही है. आम लोगों में चर्चा है कि इस साल मौसम का मिजाज बिगड़ा हुआ है और देश के कई राज्यों में आंधी-तूफान के साथ बारिश हो रही है और इस बार नौतपा अपना रौद्र रूप नहीं दिखा पाएगा. आम धारणा है कि नौतपा में भीषण गर्मी पड़ती है और लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी जाती है, लेकिन नौतपा एक खगोलीय घटना है, इसे सूर्य की परिक्रमा कर पृथ्वी तय करती है.
नेशनल अवार्ड प्राप्त विज्ञान प्रसारक सारिका घारू ने शनिवार को इस बारे में बताया कि नौतपा पृथ्वी के सूर्य के चारों ओर 365 दिन में परिक्रमा करने के कारण होने वाली कैलेंडर घटना है, जिसमें हर साल 25 मई को पृथ्वी इस स्थिति में पहुंच जाती है कि यहां से देखने पर सूर्य के पीछे आकाश में रोहिणी तारामंडल की स्थिति आ जाती है. इसे कहा जाता है कि सूर्य रोहिणी में प्रवेश कर गया है. यह ठीक उसी प्रकार है कि आप अपना जन्म दिन साल की किसी एक खास अंग्रेजी कैलेंडर की तारीख को मनाते हैं और हर 365 दिन बाद वह पुन: उस ही तारीख को आ जाता है. इस प्रकार हर साल 25 मई से लेकर 2 जून तक की नौ दिन की अवधि को नौतपा नाम दिया गया है.
सारिका ने बताया कि हिन्दी कैलेंडर में तिथियां और महीना हर साल बदलता रहता है इस कारण इसके आधार पर मनाये जाने वाले दीपावली, होली जैसे त्योहार की तारीख बदलती रहती है लेकिन सूर्य की परिक्रमा करती पृथ्वी की स्थिति पर आधारित त्योहार लगभग उस ही दिनांक को आ जाते हैं जैसे मकर सक्रांति, नौतपा आदि. उन्होंने बताया कि पहले चूंकि हिन्दी कैलेंडर ही प्रचलन में था और मई माह की गर्मी के बारे में सतर्क करने रोहिणी नक्षत्र पर आधारित नौतपा की धारण बताई गई होगी, ताकि आमलोग गर्मी से बचाव के लिये तैयारी कर सकें.
सारिका ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के इस दौर में गर्मी और नौतपा का सीधा संबंध कई बार नहीं देखा जाता है. इसके साथ ही यह जानना जरूरी है कि जिस प्रकार आप अपना जन्म दिन हर साल याद रखते हैं, ठीक उस प्रकार ही याद रखें कि हर साल 25 मई से 2 जून की अवधि को नौतपा नाम दिया गया है. ——————
तोमर
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