नई दिल्ली, 14 जुलाई (Udaipur Kiran) । राऊज एवेन्यू कोर्ट ने नेशनल हेराल्ड से जुड़े मामले में ईडी की शिकायत पर संज्ञान लेने के मामले पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। स्पेशल जज विशाल गोगने ने संज्ञान लेने के मामले पर 29 जुलाई को फैसला सुनाने का आदेश दिया।
मामले में सुनवाई के दौरान ईडी ने कहा कि जिन लोगों ने कांग्रेस को दान दिया उनके साथ धोखाधड़ी की गयी। जिन लोगों ने दान दिया उनमें से कुछ को टिकट दिए गए। सुनवाई के दौरान ईडी की ओर से एएसजी एसवी राजू ने इस मामले में गवाहों के बयान का हवाला देते हुए कहा कि कांग्रेस को जिन लोगों ने दान दिया, उनके साथ धोखाधड़ी की गयी। कुछ दानदाताओं को टिकट भी दिए गए। एएसजी एसवी राजू ने गांधी परिवार की उस दलील का विरोध किया कि एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) पर उनका कोई नियंत्रण नहीं था। एजेएल ही मूल रुप से नेशनल हेराल्ड की प्रकाशक थी।
इस मामले में 5 जुलाई को लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील आरएस चीमा ने कहा था कि कांग्रेस ने एजेएल को बेचने की कोशिश नहीं की थी, बल्कि वो इस संस्था को बचाना चाहती थी, क्योंकि वो स्वतंत्रता आंदोलन का हिस्सा थी। चीमा ने कहा था कि ईडी एजेएल का मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएशन क्यों नहीं दिखा रही है। एजेएल की स्थापना जवाहर लाल नेहरु, जेबी कृपलानी, रफी अहमद किदवई और दूसरे कांग्रेस नेताओं ने 1937 में की थी। चीमा ने कहा था कि एजेएल के मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएएशन में कहा गया है कि उसकी सभी नीतियां कांग्रेस की होंगी।
चार जुलाई को कांग्रेस नेता सोनिया गांधी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा था कि ईडी ने एक आश्चर्यजनक और अप्रत्याशित मामला बनाया। ईडी ने आश्चर्यजनक से भी ज्यादा मामला बनाया है। ये मनी लॉन्ड्रिंग का ऐसा मामला है जिसमें संपत्ति का कोई जिक्र नहीं है। यंग इंडिया ने पूरी कार्रवाई एसोसिएटेड जनरल लिमिटेड को कर्ज मुक्त करने के लिए किया। हर कंपनी अपने को कर्ज मुक्त करने के लिए कानून के मुताबिक कदम उठाती है। कंपनियां अपने को कर्ज मुक्त करने के लिए दूसरी कंपनी को दे देती हैं। यंग इंडिया लाभ कमाने वाली कंपनी नहीं है। सिंघवी ने कहा था कि ईडी ने सालों तक कुछ नहीं किया और किसी निजी शिकायत को आधार बनाकर कार्रवाई शुरु की।
ईडी की ओर से 3 जुलाई को दलीलें पूरी कर ली गयी थीं। ईडी की ओर से पेश एएसजी एसवी राजू ने कहा था कि यंग इंडिया दो हजार करोड़ रुपये की आपराधिक आय प्राप्त करने का एक साधन था और यह मनी लॉन्ड्रिंग का एक क्लासिक मामला है। शेयर होल्डिंग सिर्फ नाम के लिए है और अन्य आरोपित गांधी परिवार की कठपुतली हैं। राहुल गांधी और सोनिया गांधी कांग्रेस को नियंत्रित करते हैं। उनका उद्देश्य 92 करोड़ प्राप्त करना नहीं था, बल्कि उनका उद्देश्य दो हजार करोड़ रुपये प्राप्त करना था। सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने दो हजार करोड़ की संपत्ति के लिए मात्र 50 लाख रुपये ही दिए। ईडी ने कहा था कि एसोसिएटेड जनरल्स लिमिटेड का स्वामित्व लेने के बाद गांधी परिवार के नियंत्रण वाली यंग इंडिया लिमिटेड ने घोषणा की कि वो नेशनल हेराल्ड अखबार का प्रकाशन नहीं करेगा।
कोर्ट ने 2 मई को इस मामले में सोनिया गांधी, राहुल गांधी समेत सात आरोपितों को नोटिस जारी किया था। ईडी ने 15 अप्रैल को कोर्ट में अभियोजन शिकायत दाखिल की थी। ईडी ने इस मामले में कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी और सैम पित्रोदा को आरोपित बनाया है। ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग कानून की धारा 44 और 45 के तहत शिकायत दाखिल की है।
इस मामले में शिकायतकर्ता सुब्रह्ण्यम स्वामी का आरोप है कि दिल्ली में बहादुर शाह जफर मार्ग पर स्थित हेराल्ड हाउस की 16 सौ करोड़ रुपये की बिल्डिंग पर कब्जा करने के लिए साजिश के तहत यंग इंडिया लिमिटेड को एजेएल की संपत्ति का अधिकार दिया गया। स्वामी का कहना है कि हेराल्ड हाउस को केंद्र सरकार ने समाचार पत्र चलाने के लिए जमीन दी थी, इस लिहाज से उसे व्यावसायिक उद्देश्य के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।
(Udaipur Kiran) /संजय
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(Udaipur Kiran) / वीरेन्द्र सिंह
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