नई दिल्ली, 08 अगस्त (Udaipur Kiran) । दिल्ली विधानसभा में मानसून सत्र के दौरान शुक्रवार को ‘दिल्ली वस्तु एवं सेवा कर (संशोधन) विधेयक, 2025’ पारित हुआ। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने इस विधेयक को गुरुवार को सदन में प्रस्तुत किया था।
मुख्यमंत्री आज चर्चा के दौरान कहा कि इस विधेयक के माध्यम से सरकार ने कर सिस्टम को सरल बनाने, अनुपालन को बढ़ावा देने और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में व्यापारियों व करदाताओं को ठोस राहत देने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है।
मुख्यमंत्री ने बताया कि इस संशोधन विधेयक के माध्यम से दिल्ली जीएसटी अधिनियम को केंद्र सरकार द्वारा पारित केंद्रीय जीएसटी अधिनियम में किए गए सुधारों के अनुरूप लाया गया है, जिससे देशभर में कर नियमों में एकरूपता सुनिश्चित हो सके। उन्होंने कहा कि यह विधेयक करदाताओं के लिए पारदर्शिता, सरलता और न्याय की दिशा में एक ठोस कदम है। हमारा उद्देश्य कारोबारी विश्वास को बढ़ाना और राजस्व प्रशासन को प्रभावी बनाए रखना है।
मुख्यमंत्री ने जानकारी दी कि यह संशोधन दो प्रमुख विधायी पैकेजों के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है। पहला पैकेज जुलाई 2023, अक्टूबर 2023 और जून 2024 में आयोजित जीएसटी परिषद की बैठकों में स्वीकृत 45 संशोधनों को सम्मिलित करता है, जिसमें इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का दावा करने की समय सीमा बढ़ाना, पंजीकरण और रिटर्न दाखिल करने की प्रक्रिया को सरल बनाना, जीएसटी अपीलीय अधिकरण (ट्रिब्यूनल) की स्थापना करना, और ब्याज तथा जुर्माने पर राहत के लिए एक एमनेस्टी स्कीम (राहत) की शुरुआत शामिल है।
दूसरे पैकेज में दिसंबर 2024 की 55वीं जीएसटी परिषद की बैठक में पारित 14 संशोधन शामिल हैं, जिनका उद्देश्य प्रवर्तन को मजबूत बनाना और प्रक्रियाओं में स्पष्टता लाना है। इनमें ट्रैक-एंड-ट्रेस सिस्टम में गैर-अनुपालन पर दंड, आईएसडी क्रेडिट वितरण का स्पष्ट निर्धारण, नगरपालिका निधियों की प्रकृति और अपील की प्रक्रिया को सुगम बनाना शामिल है।
मुख्यमंत्री ने बताया यह विधेयक कई समस्याओं का निदान करेगा। सभी संशोधनों से करदाताओं को इनपुट टैक्स क्रेडिट के लिए अधिक समय मिलेगा, अपील दाखिल करने के लिए पूर्व-डिपॉजिट की राशि 10 प्रतिशत से घटाकर 7 प्रतिशत की गई है, विवाद निपटान में सुधार होगा। मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि जीएसटी एमनेस्टी स्कीम के तहत दिल्ली को 31 मार्च 2025 तक 218 करोड़ रुपये की वसूली प्राप्त हुई है, जो इन सुधारों के प्रति करदाताओं की सकारात्मक प्रतिक्रिया का संकेत है।
विधानसभा में चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री ने पूर्व वित्त मंत्री और नेता प्रतिपक्ष आतिशी पर भी तीखा कटाक्ष किया। उन्होंने कहा कि आतिशी अब उन संशोधनों पर सवाल उठा रही हैं, जिनकी बैठक में उन्होंने भाग ही नहीं लिया। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि दिल्ली की वित्तीय जिम्मेदारी जिनके हाथों में थी, वह इन महत्वपूर्ण बैठकों से अनुपस्थित रहीं। मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि आतिशी न केवल 55वीं जीएसटी परिषद की बैठक से अनुपस्थित रहीं, बल्कि पहले की कई बैठकों में भी उन्होंने भाग नहीं लिया। उन्होंने कहा कि यदि पूर्ववर्ती सरकार संस्थागत प्रक्रियाओं का सम्मान करती, तो दिल्ली को और अधिक लाभ मिल सकता था।
मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि नई सरकार के कार्यकाल में दिल्ली की जीएसटी एवं वैट वसूली में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। वित्त वर्ष 2024–25 के पहले पांच महीनों में 15,535 करोड़ रुपये की वसूली हुई, जो कि पिछले प्रशासन के दौरान इसी अवधि में 14,500 करोड़ रुपये थी। उन्होंने कहा कि महज पांच महीनों में 7 प्रतिशत की वृद्धि इस बात का प्रमाण है कि ये सुधार प्रभावी हैं और दिल्ली की जनता पारदर्शी शासन में विश्वास जता रही है।
मुख्यमंत्री ने दिल्ली की राजस्व संबंधी स्थिति पर भी स्पष्टता प्रदान करते हुए कहा कि दिल्ली एक केंद्रशासित प्रदेश है। आयकर, सीमा शुल्क और कॉर्पोरेट टैक्स केंद्र सरकार के अधीन हैं, जबकि दिल्ली सरकार जीएसटी, वैट, उत्पाद शुल्क और स्टांप ड्यूटी के लिए जिम्मेदार है। उन्होंने केंद्र सरकार का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि दिल्ली पुलिस के वेतन, पेंशन, मेट्रो संचालन और शहरी विकास की अनेक योजनाओं के खर्च का वहन केंद्र सरकार द्वारा किया जाता है। करीब 6,000 करोड़ रुपये की पेंशन, मेट्रो रेल और केंद्रीय विश्वविद्यालयों तक, केंद्र सरकार के योगदान के बिना दिल्ली नहीं चल सकती।
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(Udaipur Kiran) / धीरेन्द्र यादव
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