नैनीताल, 14 जुलाई (Udaipur Kiran) । उत्तराखंड हाईकोर्ट ने सोमवार को राज्य निर्वाचन आयोग की याचिका पर टिप्पणी करने से इंकार कर दिया, जिसमें त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में नगर निकाय और ग्राम पंचायत दोनों मतदाता सूचियों में नाम दर्ज प्रत्याशियों को चुनाव लड़ने की अनुमति पर स्पष्ट दिशा-निर्देश मांगे गए थे।
इस मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी. नरेंदर व न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ के समक्ष हुई। काेर्ट के समक्ष महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर ने कहा कि चुनाव आयोग, प्रत्याशी और आम जन इस प्रकरण पर स्पष्ट दिशा निर्देश चाहते हैं।
कोर्ट ने कहा कि यदि उसने इस विषय में कुछ और कहा तो वह चुनाव पर रोक लगाने जैसा होगा और चुनावी प्रक्रिया बाधित होगी। कोर्ट ने कहा कि चुनाव पर रोक नहीं लगाई गई है।
कोर्ट ने सुनवाई के दौरान मौखिक रूप से यह भी कहा था कि पंचायत चुनाव की नामांकन प्रक्रिया पूरी हो जाने के कारण वह चुनाव में हस्तक्षेप नहीं कर रहा है, लेकिन निर्णय में ऐसा अलग से उल्लेख नहीं था।
शक्ति सिंह बर्त्वाल ने जनहित याचिका दायर कर कहा था कि हरिद्वार को छोड़कर राज्य के 12 जिलों में पंचायत चुनाव लड़ रहे कुछ प्रत्याशियों के नाम नगर निकाय व पंचायत दोनों की मतदाता सूचियों में हैं, जिनमें रिटर्निंग अधिकारियों ने अलग-अलग निर्णय लिए हैं। इससे कहीं तो प्रत्याशियों के नामांकन रद्द हो गए हैं, जबकि कहीं उनके नामांकन स्वीकृत हो गए हैं।
याचिका में कहा गया था कि देश के किसी भी राज्य में दो अलग मतदाता सूचियों में नाम होना आपराधिक माना जाता है। याचिका में उत्तराखंड में इस प्रथा पर सवाल उठाया गया था। याची ने पंचायती राज अधिनियम की धारा 9 की उप धारा 6 व 7 का समुचित पालन न होने पर हाईकोर्ट में याचिका दायर कर की थी।
कोर्ट के निर्णय की वादी और सरकार के अधिवक्ताओं ने अलग व्याख्या की थी, जिससे संशय हो रहा था। आयोग के अधिवक्ता संजय भट्ट का कहना था कि हाईकोर्ट ने वर्तमान में गतिमान चुनाव प्रक्रिया पर कोई हस्तक्षेप नहीं किया है अतः इन चुनावों पर इस आदेश का असर नहीं पड़ेगा। भविष्य के चुनावों से यह प्रभावी होगा। आदेश की प्रति मिलने के बाद आयोग इसके विधिक पहलुओं पर विचार करेगा। जबकि याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अभिजय नेगी का कहना था कि कोर्ट के आदेश के बाद दो मतदाता सूचियों में दर्ज नाम वाले प्रत्याशी चुनाव लड़ने के अयोग्य हो गए हैं। इसके अनुरूप कार्यवाही न करना न्यायलय की अवमानना होगा।
उल्लेखनीय है कि शुक्रवार को हाईकोर्ट ने निर्णय दे कर राज्य निर्वाचन आयोग के निर्देश पर रोक लगाते हुए कहा था कि दो मतदाता सूचियों में नाम वाले प्रत्याशियों का चुनाव लड़ना पंचायत राज अधिनियम के विरुद्ध है।
इसके बाद आयोग की ओर से शनिवार और रविवार के अवकाश के चलते ऑनलइन आवेदन कर हाईकोर्ट से मामले में स्टे वेकेट करने अथवा स्पष्ट निर्देश दिए जाने का अनुरोध किया गया था।
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(Udaipur Kiran) / लता
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