देहरादून, 07 जुलाई (Udaipur Kiran) । जैन संत आचार्य 108 सौरभ सागर महाराज ने कहा कि समाज की भलाई के लिए धर्म की ओर उन्मुख होने के लिए चातुर्मास एक प्रभावी माध्यम है। धर्म युवाओं को सामर्थ्य प्रदान करता है। इसके लिए जरुरी है कि हम नई पीढ़ी के बच्चों में धर्म युक्त शिक्षा के साथ अच्छा संस्कार पैदा करने के लिए कार्य करें।सोमवार को जैन भवन में पत्रकारों से बातचीत में सागर महाराज यह विचार व्यक्त किए। उन्होंने 31 वें पुष्प वर्षायोग के लिए दून पहुंचे हैं। उनका देहरादून में दूसरी बार यानी छह वर्ष बाद उन्हें दून में वर्षा पुष्प योग का अवसर मिल रहा है। धामी सरकार उन्हें राज्य का अतिथि घोषित किया है।इस दौरान सौरभ सागर महाराज ने कहा कि समाज को वैदिक आचरण, सदाचार, अहिंसा, खानपान की युति, स्वास्थ्य लाभ चातुर्मास में अपनाएं गए संकल्प से होता है। अगले चार माह सारे देवगण सो जाते हैं लेकिन संत जागृत रहते हैं। वर्षा योग समाज को हरियाली से भरने का पर्व है। दून में हरियाली भरेगी। नौ जुलाई को वर्षा योग के लिए मंगल कलश की स्थापना मंगल कामना के साथ होगी। इसी के साथ 100 दिन तक धर्म और साधना की अलग-अलग क्रियाएं चलती रहेगी।
उन्होंने कहा कि नई पीढ़ी को मानवता, नैतिकता और धर्म के मार्ग से जोड़ना आश्वयक है। उन्हाेंने एक सवाल के जवाब में कहा कि शिष्य की संख्या नहीं संस्कार आज की जरुरत है। सच्चा संत कौन है, सच्चे संत का सानिध्य मिलना जरुरी है, यह विषय खास मायने रखता है।
(Udaipur Kiran) / राजेश कुमार
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