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ग्राम सभा की जमीन पर कब्जा को लेकर लोक सम्पत्ति क्षति निवारण कानून में कार्रवाई करना अनुचित : हाईकोर्ट

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प्रयागराज, 09 सितम्बर (Udaipur Kiran) । इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा है कि ग्राम समाज की जमीन पर अतिक्रमण के मामले में लोक संपत्ति क्षति निवारण अधिनियम (पीडीपीपी एक्ट) में मुकदमा दर्ज कर कार्यवाही करना अनुचित है। यह कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा।

कोर्ट ने कहा कि गांव समाज की भूमि पर अतिक्रमण से सम्बंधित विवादों का राजस्व संहिता के तहत निस्तारण किया जा सकता है। कोर्ट ने प्रयागराज की बारा तहसील के सेहूड़ा (गोदिया का पूरा) गांव निवासी जमुना प्रसाद उर्फ लल्लू के खिलाफ लोक सम्पत्ति क्षति निवारण अधिनियम के तहत दर्ज मुकदमे की चार्जशीट और अदालत द्वारा संज्ञान लिए जाने तथा सम्मन आदेश सहित समस्त कार्यवाही रद्द कर दी है।

जमुना प्रसाद ने मुकदमे की कार्यवाही को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी । उनकी याचिका पर न्यायमूर्ति सौरभ श्रीवास्तव ने सुनवाई की। याची का कहना था कि उसके खिलाफ ग्राम समाज की खलिहान की जमीन पर अतिक्रमण कर मकान बनाने और कब्जा नहीं छोड़ने के आरोप में लोग सम्पत्ति क्षति निवारण अधिनियम के तहत लेखपाल ने मुकदमा दर्ज कराया था। पुलिस ने इस मामले में जांच के बाद आरोप पत्र दाखिल कर दिया। जिस पर मजिस्ट्रेट की अदालत ने 22 अगस्त 2023 को संज्ञान ले लिया।

याची के अधिवक्ता का कहना था कि पीडीपीपी एक्ट में प्राथमिकी दर्ज करना कानूनी प्रावधान का दुरुपयोग है। ग्राम सभा की जमीन को नुकसान पहुंचाने के आरोप में इस एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज नहीं हो सकता है। अधिवक्ता का यह भी कहना था कि सम्बंधित मजिस्ट्रेट ने आरोप पत्र पर संज्ञान लेते समय अपने न्यायिक विवेक का प्रयोग नहीं किया तथा लेखपाल ने याची को परेशान करने की नीयत से शॉर्ट कट अपनाया।

कोर्ट ने इसी प्रकार के मामले में हाईकोर्ट द्वारा पूर्व में मुंशीलाल केस में दिए गए निर्णय का हवाला देते हुए कहा कि ग्राम सभा की जमीन पर अतिक्रमण या अतिचार के मामले में पक्षकारों के स्वामित्व, दावों का विवाद तय करना होता है और इसे राजस्व संहिता में ही किया जा सकता है। साथ ही राजस्व संहिता की धारा 67 के तहत बेदखली की जा सकती है। कोर्ट ने कहा कि लोक सम्पत्ति क्षति निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज करना कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग है। क्योंकि इस एक्ट का गठन दंगों और सार्वजनिक प्रदर्शनों के दौरान लोक संपत्ति की क्षति रोकने के उद्देश्य से किया गया है। कोर्ट ने उक्त आदेश के आलोक में याची के विरुद्ध चल रही मुकदमे की समस्त कार्यवाही को रद्द कर दिया है।

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(Udaipur Kiran) / रामानंद पांडे

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