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उत्तराखंड में फिर बदलेगा मौसम: भारी बारिश और आकाशीय बिजली का अलर्ट

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उत्तराखंड में मौसम (weather) ने एक बार फिर करवट ली है, और बीते दिन हुई झमाझम बारिश ने लोगों को गर्मी से राहत दी। नदी-नाले उफान पर हैं, और प्रकृति का यह रौद्र रूप देखकर हर कोई हैरान है। मौसम विभाग ने एक बार फिर कई पहाड़ी और मैदानी जिलों में भारी बारिश (heavy rainfall) की चेतावनी जारी की है। लोगों से सावधानी बरतने की अपील की गई है, ताकि किसी भी अप्रिय स्थिति से बचा जा सके।

किन जिलों में बरसेंगे बादल?

देहरादून मौसम विभाग के अनुसार, उत्तरकाशी, चमोली, रुद्रप्रयाग, बागेश्वर और पिथौरागढ़ जैसे पहाड़ी जिलों में गरज के साथ तेज बारिश की संभावना है। इसके साथ ही आकाशीय बिजली (lightning) और 30-40 किमी/घंटे की रफ्तार से झोंकेदार हवाएं चल सकती हैं। कुछ इलाकों में ओलावृष्टि (hailstorm) का भी खतरा है। अल्मोड़ा, चंपावत, नैनीताल और उधम सिंह नगर में भी कहीं-कहीं बारिश के आसार हैं। हालांकि, हरिद्वार में मौसम शुष्क रहने की उम्मीद है। यह जानकारी स्थानीय लोगों और पर्यटकों के लिए महत्वपूर्ण है, ताकि वे अपनी योजनाओं को मौसम के अनुसार ढाल सकें।

बारिश से राहत, लेकिन सावधानी जरूरी

पिछले कुछ दिनों की चिलचिलाती गर्मी के बाद बारिश ने लोगों को राहत तो दी, लेकिन नदियों में उफान और भूस्खलन (landslide) का खतरा बढ़ गया है। पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को नदी-नालों के पास जाने से बचने की सलाह दी गई है। मौसम विभाग ने आकाशीय बिजली से बचने के लिए भी दिशानिर्देश जारी किए हैं। घर से बाहर निकलते समय छाता या रेनकोट साथ रखना न भूलें।

पर्यटकों और स्थानीय लोगों के लिए सुझाव

उत्तराखंड घूमने आए पर्यटकों को सलाह दी जाती है कि वे मौसम की ताजा जानकारी रखें और जोखिम भरे इलाकों से दूर रहें। स्थानीय प्रशासन भी सतर्क है और आपात स्थिति से निपटने के लिए तैयार है। मौसम की अनिश्चितता को देखते हुए, यात्रा करने से पहले मौसम विभाग की वेबसाइट या स्थानीय समाचार चैनलों से अपडेट लेना जरूरी है।

पर्यावरण और मौसम का बदलता मिजाज

यह बारिश न केवल मौसम की अनिश्चितता को दर्शाती है, बल्कि जलवायु परिवर्तन (climate change) के प्रभावों की ओर भी इशारा करती है। विशेषज्ञों का मानना है कि अनियमित बारिश और प्राकृतिक आपदाएं पर्यावरण पर बढ़ते दबाव का नतीजा हैं। हमें अपने पर्यावरण की रक्षा के लिए जागरूक होना होगा, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को कम किया जा सके।

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