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IT हब से लेकर EV इनोवेशन तक: महाराष्ट्र कैसे बनेगा गैजेट्स का ग्लोबल सेंटर

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महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने हाल ही में एक ऐसी टेक पॉलिसी की घोषणा की है, जो राज्य को टेक्नोलॉजी और गैजेट्स के क्षेत्र में नया मुकाम दिला सकती है। इस पॉलिसी का मकसद है महाराष्ट्र को भारत का टेक कैपिटल बनाना, खासकर गैजेट्स मैन्युफैक्चरिंग और इनोवेशन के लिए। पुणे और मुंबई जैसे शहर पहले से ही आईटी सेक्टर में अपनी धाक जमा चुके हैं, लेकिन अब सरकार पूरे राज्य में टेक्नोलॉजी को बढ़ावा देने की योजना बना रही है। आइए, जानते हैं कि कैसे यह पॉलिसी महाराष्ट्र को गैजेट्स का हब बना सकती है।

टेक पॉलिसी 2023: नए अवसरों की शुरुआत

महाराष्ट्र सरकार ने 2023 में नई आईटी और आईटीईएस (IT-enabled Services) पॉलिसी को मंजूरी दी थी, जिसके तहत गैजेट्स मैन्युफैक्चरिंग और टेक्नोलॉजी पार्क्स को बढ़ावा देने की योजना है। इस पॉलिसी के तहत 95,000 करोड़ रुपये के निवेश और 35 लाख नौकरियों का लक्ष्य रखा गया है। साथ ही, 10 लाख करोड़ रुपये के निर्यात का भी सपना देखा जा रहा है। अजित पवार का कहना है कि यह पॉलिसी न केवल बड़े शहरों बल्कि नासिक, नागपुर और कोल्हापुर जैसे क्षेत्रों में भी टेक इंडस्ट्री को बढ़ाएगी।

कोल्हापुर में आईटी हब: गेम-चेंजर कदम

हाल ही में, अजित पवार ने कोल्हापुर में 34 हेक्टेयर जमीन पर एक आईटी हब बनाने का निर्देश दिया है। यह जमीन शेंडा पार्क की कृषि यूनिवर्सिटी से ली जाएगी, और बदले में यूनिवर्सिटी को कागल, पन्हाला या हटकनंगले में 60 से 100 हेक्टेयर वैकल्पिक जमीन दी जाएगी। पवार ने कहा कि यह कदम न केवल औद्योगिक विकास को बढ़ावा देगा, बल्कि स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर भी पैदा करेगा।

पुणे को राष्ट्रीय ग्रोथ हब बनाने की तैयारी

पुणे, जो पहले से ही आईटी और मैन्युफैक्चरिंग का गढ़ है, उसे अब राष्ट्रीय स्तर का ग्रोथ हब बनाने की योजना है। अजित पवार ने घोषणा की कि पुणे मेट्रोपॉलिटन रीजन (PMR) को टेक्नोलॉजी, मैन्युफैक्चरिंग, शिक्षा और ग्रीन मोबिलिटी के क्षेत्र में विकसित किया जाएगा। 2030 तक पुणे में 15-18 लाख नौकरियां पैदा करने का लक्ष्य है, जिनमें से 6 लाख महिलाओं के लिए होंगी। यह योजना न केवल आर्थिक विकास को गति देगी, बल्कि पुणे को गैजेट्स और टेक्नोलॉजी के लिए एक बड़ा केंद्र बनाएगी।

हिन्जेवाड़ी का हाल: चुनौतियां और समाधान

हालांकि, अजित पवार ने पुणे के हिन्जेवाड़ी आईटी पार्क को लेकर चिंता भी जताई है। उन्होंने कहा कि खराब बुनियादी ढांचे की वजह से कई आईटी कंपनियां बेंगलुरु और हैदराबाद की ओर रुख कर रही हैं। हिन्जेवाड़ी में पानी की समस्या और ट्रैफिक जाम जैसी समस्याओं को दूर करने के लिए पवार ने तुरंत कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। फेडरेशन ऑफ इंडियन टेक्नोलॉजी इंटरप्राइजेज (FITE) ने भी हिन्जेवाड़ी में ट्रांजिट हब बनाने की मांग की है, ताकि वहां की कनेक्टिविटी बेहतर हो सके।

टेक वारी: कर्मचारियों के लिए नई स्किल्स

अजित पवार ने ‘टेक वारी’ नामक एक खास पहल की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य सरकारी कर्मचारियों को टेक्नोलॉजी में प्रशिक्षित करना है। इस पहल के तहत कर्मचारियों को आधुनिक तकनीक और डिजिटल स्किल्स सिखाई जाएंगी, ताकि प्रशासन और तेज और पारदर्शी हो सके। पवार ने मजाक में कहा, “अगर आपने टेक्नोलॉजी नहीं सीखी, तो आपकी जगह रोबोट ले लेंगे!” यह कदम गैजेट्स और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में महाराष्ट्र को और मजबूत करेगा।

भविष्य की राह: गैजेट्स और इनोवेशन

अजित पवार की टेक पॉलिसी का फोकस न केवल आईटी पार्क्स बल्कि गैजेट्स मैन्युफैक्चरिंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), और इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) जैसे क्षेत्रों पर भी है। महाराष्ट्र हब (M-Hub) पहल के तहत 500 करोड़ रुपये एमएसएमई, स्टार्टअप्स और इनक्यूबेशन सेंटरों के लिए रखे गए हैं। साथ ही, सरकार ने सिंगल विंडो सिस्टम ‘महाटी’ शुरू किया है, जो टेक कंपनियों के लिए रजिस्ट्रेशन और क्लीयरेंस को आसान बनाएगा।

महाराष्ट्र सरकार की यह टेक पॉलिसी निश्चित रूप से राज्य को गैजेट्स और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों पर ले जा सकती है। लेकिन इसके लिए हिन्जेवाड़ी जैसे मौजूदा टेक हब्स की समस्याओं को जल्द से जल्द हल करना होगा। क्या यह पॉलिसी महाराष्ट्र को गैजेट्स का हब बना पाएगी? यह तो वक्त ही बताएगा, लेकिन अजित पवार का विजन और उनकी कोशिशें निश्चित रूप से उम्मीद जगाती हैं।

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