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पिता ने नाबालिग बेटी के जबरन उतारे सारे कपड़े, बेटी की चीख सुनकर मां दौड़ी कमरे में, अंदर जो देखा...

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दिल्ली की एक अदालत ने एक दिल दहला देने वाले मामले में सख्त रुख अपनाते हुए एक व्यक्ति की जमानत याचिका को ठुकरा दिया। इस व्यक्ति पर अपनी नाबालिग बेटी के यौन शोषण की कोशिश और पत्नी की हत्या का गंभीर आरोप है। यह घटना न केवल एक परिवार की त्रासदी को उजागर करती है, बल्कि समाज में महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा के सवाल को भी सामने लाती है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश शिवानी चौहान ने अपने फैसले में साफ कहा कि प्रारंभिक साक्ष्य इस बात की पुष्टि करते हैं कि आरोपी ने अपनी पत्नी की हत्या तब की, जब उसने अपनी बेटी को यौन उत्पीड़न से बचाने की कोशिश की।

एक मां की बहादुरी और त्रासदी

पुलिस की जांच के अनुसार, यह भयावह घटना 2023 में 7 और 8 नवंबर की रात को हुई। आरोपी ने अपनी नौ साल की नाबालिग बेटी के कपड़े जबरन उतारने की कोशिश की और उसके साथ मारपीट का प्रयास किया। तभी बच्ची की मां ने उसे इस घृणित कृत्य में पकड़ लिया। मां ने शोर मचाकर और विरोध करके अपनी बेटी को बचाने की कोशिश की, जिसके बाद दोनों के बीच तीखी बहस हुई। अगली सुबह यह बहस फिर से भड़क उठी, और गुस्से में आकर आरोपी ने कथित तौर पर अपनी पत्नी का गला घोंट दिया। इस दौरान बच्ची अपने रोते हुए भाई को चुप कराने के लिए कमरे से बाहर गई थी, और आरोपी ने इस मौके का फायदा उठाकर यह जघन्य अपराध किया।

अदालत में साक्ष्य और गवाही

अदालत में सुनवाई के दौरान सरकारी वकील अरुण केवी ने जमानत याचिका का कड़ा विरोध किया। उन्होंने कहा कि यह मामला बेहद गंभीर है, जिसमें एक मां ने अपनी बेटी को यौन शोषण से बचाने की कोशिश में अपनी जान गंवा दी। भले ही हत्या का कोई प्रत्यक्ष गवाह न हो, लेकिन परिस्थितिजन्य साक्ष्य, स्वतंत्र गवाहों की गवाही और अन्य सबूत स्पष्ट रूप से आरोपी को अपराध से जोड़ते हैं। नौ साल की पीड़ित बच्ची ने अपनी गवाही में बताया कि उसकी मां ने उसे पिता की गलत हरकतों के बारे में बताया था। अदालत ने माना कि इतनी छोटी उम्र में बच्ची से अपराध की पूरी प्रकृति को समझने की उम्मीद नहीं की जा सकती, लेकिन उसकी गवाही विश्वसनीय और मार्मिक थी।

आरोपी का दावा और अदालत का जवाब

आरोपी ने अपनी जमानत याचिका में दावा किया कि उसे झूठा फंसाया गया है और उसकी बेटी ने हत्या की घटना नहीं देखी। हालांकि, अदालत ने इन दलीलों को खारिज करते हुए कहा कि पर्याप्त साक्ष्य और आरोपी के बाद के व्यवहार, जैसे घटना के बाद फरार होना, उसके अपराध को साबित करने के लिए काफी हैं। न्यायाधीश ने अपराध की गंभीरता पर जोर देते हुए कहा कि यदि आरोपी को जमानत दी गई, तो वह नाबालिग पीड़िता को नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए, 31 मई को दिए गए अपने आदेश में अदालत ने जमानत याचिका को पूरी तरह खारिज कर दिया।

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