हरियाणा के बहादुरगढ़ के छोटे से गांव परनाला हसनपुर की महिला सरपंच मुकेश अशोक राठी ने एक ऐसा कदम उठाया है, जिसने न केवल उनके गांव, बल्कि पूरे देश का ध्यान अपनी ओर खींचा है। उन्होंने भारतीय सेना के मनोबल को बढ़ाने और राष्ट्रीय सुरक्षा में योगदान देने के लिए अपने पांच साल के सरपंच मानदेय को केंद्र सरकार के सहायता कोष में दान करने का फैसला किया। यह कहानी साहस, समर्पण और देशभक्ति की एक मिसाल है।
गांव की बेटी, देश की शान
मुकेश देवी, जो गांव की पहली महिला सरपंच हैं, ने अपने इस फैसले से साबित कर दिया कि देशभक्ति और समाज सेवा का जज्बा किसी पद या स्थिति का मोहताज नहीं होता। हरियाणा सरकार की ओर से सरपंच को हर महीने मिलने वाला 5,000 रुपये का मानदेय, जो पांच साल में कुल 3 लाख रुपये बनता है, उन्होंने बिना किसी हिचक के दान कर दिया। उनके इस निर्णय ने गांव की हर गली में एक नई प्रेरणा जगा दी है। लोग उनकी सादगी और साहस की तारीफ करते नहीं थक रहे।
ऑपरेशन सिंदूर के लिए खास योगदान
मुकेश और उनके पति अशोक राठी, जो सरपंच एसोसिएशन के प्रधान भी हैं, ने इस राशि को 'ऑपरेशन सिंदूर' की सफलता के लिए समर्पित किया है। यह ऑपरेशन आतंकवाद के खिलाफ देश की लड़ाई का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। मुकेश का कहना है कि आतंकवाद का खात्मा न केवल भारत, बल्कि पूरी मानवता के लिए जरूरी है। उनकी यह सोच और कार्यशैली दूसरों के लिए एक प्रेरणा बन रही है। इस दान से न केवल सेना का मनोबल बढ़ेगा, बल्कि यह देश की सुरक्षा को और मजबूत करने में भी मदद करेगा।
गांव में उत्साह, भारत माता की जय
मुकेश के इस फैसले को गांव ने पूरे उत्साह के साथ स्वीकार किया। उनके सम्मान में गांव में एक विशेष बैठक का आयोजन किया गया, जिसमें महिलाओं और पुरुषों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। बैठक में 'भारत माता की जय' के नारे गूंजे, और हर किसी ने इस फैसले को देश के प्रति एक सच्ची श्रद्धांजलि बताया। गांव के पंचों और महिलाओं ने एकजुट होकर इस निर्णय का समर्थन किया और इसे अन्य गांवों के लिए एक उदाहरण बताया।
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